सूई का अग्र भाग भी नहीं देंगे,आधुनिक दुर्याधन , तैयार कर रहे महाभारत की रक्ताज्नित पृष्ठभूमि!!

 श्री अयोध्याधाम


श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष श्री गोविंद गिरी महाराज ने गत दिनों मुस्लिम समाज के सकारात्मक लोगों से अपील की कि हमारी सनातन परंपरा से जुड़े हुए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा को पुष्ट करने वाले तीन मंदिरों अयोध्या ,मथुरा और काशी को हमें दे दें तो हम आगे किसी भी विवादित धार्मिक स्थल की ओर आंख भी नहीं उठाएंगे। इसका आश्वासन देते हैं।

 उनके इस बयान को जहां असंख्य लोगों ने सम्मान दिया वहीं कुछ लोगों ने इसको अपने आंख में किरकिरी माना। गोविंद देवगिरी ने कहा की तीन मंदिर शांति से मिल जाने के बाद हम उन मंदिरों की ओर ध्यान देने की इच्छा नहीं करेंगे ,क्योंकि मुसलमान और हिंदू भारत के सह अस्तित्व के परिचायक हैं।हजारों वर्षों से साथ रहे ,वे भी हमारे भाई  ही ही हैं।

इसलिए हमको आपसी भाईचारे के साथ यहां रहना है हम एक दूसरे से प्रेम भी करते हैं और सारी बातें जो पहले की है उसको हम भूल जाएंगे। उन्होंने कहा कि उन लोगों को भी हम प्यार से समझाएंगे जिन्होंने यह बातें कही है कि हम हर हाल में युद्ध से तीनों स्थान लेंगे। उन्होंने कहा कि समझदार लोग सर्वत्र हैं और मुस्लिम धर्म गुरुओं को हमारे अपील को मनाना चाहिए।  इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भी भाग लिया। बताते हैं 500 सालों के बाद सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिकफैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण हुआ है 22 जनवरी 24 को इसकी प्राण प्रतिष्ठा नरेंद्र मोदी जी के कर कमल से हो चुकी है और श्री कृष्ण जन्माष्टमी का मामला लंबित है ।ऐसी स्थिति में हर हाल में हमें तीनों स्थान जो हमारी अस्मिता से जुड़े हैं उन्हें चाहिए लेकिन मुस्लिम समाज के नेताओं में से एक असी मुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि हम किसी भी हालत में स्वेच्छा से इन स्थानों को नहीं छोड़ेंगे ।गोविंद देवगिरी हमको  दे रहे हैं ।

ओवैसी *दुर्योधन की भूमिका में आए थे और श्री कृष्ण की भूमिका में *गोविंद गिरी ।गोविंद गिरी ने कहा हमको तीन  ही नहीं दे दीजिए बाकी हमें किसी चीज की जरूरत नहीं होगी। तब ओवैसी रूपी दुर्योधन कहता है*सुच्यात्रम न दास्यामि विना युद्धेन् केशव: .

हम बिना *रक्तपात के  संघर्ष के कोई भी बात आपकी मानने के लिए तैयार नहीं है. इसलिए नई महाभारत की रचना स्वयं ओवैसी और मुस्लिम समाज कुछ कलह  प्रिय लोग जो भारत को अपना न  मानकर कहीं अन्य अपना आस्था केंद्र बनाए हुए हैं उनके दिमाग में यह विष वेलि पनप रही है।

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