दिल्ली किसान आंदोलन *किसानों के कंधे की बन्दूक की *ट्रेगर पर किसका हाथ ,?????

दिल्ली


दिल्ली के चारों ओर किसान आंदोलन अपनी चरम परिणति पर है। यह आंदोलन मूलतः सत्ता न पाने से बिलिलाए  लोगों का एक अलोकतांत्रिक अभ्यास है। नरेंद्र मोदी को किस तरह से बदनाम किया जाए ,कोई ऐसी अप्रिय घटना कर दी जाए, देश और विदेश से फंडिंग के आधार पर चल रहे  इसआंदोलन  सब की समीक्षा करनी चाहिए। पता लगाना होगा किसान आंदोलन में भोले भाले किसानों के कंधे पर बंदूक रखने वाले लोगों में किसका हाथ है।

किसान अन्न दाता कहलाता है,उसकी वन्दना भी कीजती ही,वन्दना के कठिन कर्मी कृषक जन की भू।उसी किसान के कंधे पर  किसने बन्दूक रख दी। पंजाब में सत्ताधारी कांग्रेस ने खुद अपनी सक्रिय भागीदारी में प्रदेश के अन्दर और बाहर प्रदर्शन करने की पूरी कोशिशे की थीं। साथ ही राजनीति की बिसात पर हो रहे इस किसान आंदोलन की रणनीति बनाने में बंगाल से लेकर पंजाब तक के अधिकांश विपक्षी राजनीतिक दलों की भूमिका को सिरे से खारिज भी नही किया जा सकता हैं। 

जाम नही लगाया जा सकता और निर्दिष्ट स्थान पर ही प्रदर्शन करने की अनुमति होगी। होना भी यही चाहिए था मगर आज जानबूझकर सर्वोच्च-न्यायालय के निर्णय की अवमानना की जा रही है। दिल्ली की सीमाओं पर इकठ्ठा किए जा रहे प्रदर्शनकारियों के साथ, मौसम अथवा किसी अन्य कारण से कोई जनहानि हुई तो उसके लिए कौन उत्तरदायी होगा? क्या अपने राजनीतिक स्वार्थ में मदमस्त यह राजनीतिक दल इसकी जिम्मेंदारी लेने को तैयार हैं??

 मौसम अथवा किसी अन्य कारण से कोई जनहानि हुई तो उसके लिए कौन उत्तरदायी होगा? क्या अपने राजनीतिक स्वार्थ में मदमस्त यह राजनीतिक दल इसकी जिम्मेंदारी लेने को तैयार हैं??मोदी विरोधी एकबार फिर एक जुट हो किसानों के कंधे पर बंदूक रखे हैं।सरकार को यह भी जांच करना चाहिए आखिर कौन कितनी और क्यों आंदोलन को हवा दे रहा है।कांग्रेस का तो साथ ही विनाश का ही है।

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