शहर के बनियाबारी में चल रहे नव दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथावाचक पंडित विद्याधर भारद्वाज ने कहा कि संसार के सारे कार्य लोग समय से करना चाहते हैं किंतु भगवत कार्य के लिए वृद्धावस्था की प्रतीक्षा करते हैं। ध्रुव जी को महाराज को 5 वर्ष की अवस्था में ही भगवत प्राप्ति हो गई थी।
महाराज स्वयंभू मनु के वंस में दो पुत्र हुए प्रियव्रत और उत्तानपाद।
दो पत्नियां थी उत्तानपाद के पास सुनीति और सुरुचि।
जीवात्मा उत्तानपाद ही है नीतिगत व रुचिगत विचारों के मध्य मनुष्य जीवन जीने के लिए बाध्य है। मनुष्य को नीतिगत विचारों का समर्थन करना चाहिए परिणाम स्वरुप जीवन में फल ध्रुव जैसा मिलता है। जो मनुष्य केवल रुचिकर विचारों का समर्थन करता है परिणाम स्वरुप फल भले अच्छा प्राप्त हो जाए किंतु टिकाऊ होगा इसकी गारंटी नहीं। सौतेली मां के व्यंग वचनों से आहत ध्रुव जी महाराज मथुरापुरी में यमुना नदी के किनारे देवर्षि नारद के उपदेश अनुसार द्वादशाक्षर मंत्र का जप कर प्रभु को प्रसन्न किया। इस अवसर पर मुख्य यजमान श्रीमती कमला पांडे आयोजक रतेंद्र पांडे लकी सहित सैकड़ो श्रोतागण कथा का रसपान किया।
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