लखनऊ
यह देश का पहला मामला है जब सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों ने यह पूछा हो सरकार से कि आखिर पिछड़ी जातियों के क्रिमी लेयर को क्यों आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। उन्हें आरक्षण से बाहर करने के लिए आपने क्या किया ।सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने गति दिनों यह सवाल किया था कि पिछड़ी जातियों में मौजूद संपन्न उन जातियों को आरक्षण की सूची से बाहर क्यों नहीं किया जाना चाहिए और वह सामान्य वर्ग से भी सक्षम है ।इसलिए सामान्य वर्ग से आर्थिक रूप से प्रतिस्पर्धा करें। अपनी बात रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डिवाई चंद्रचूड़सहित सात जजों की पीठ में शामिलज स्टिस विक्रम नाथ ने पूछा कि इन्हें आरक्षण की सूची से क्यों नहीं निकल गया।
कोर्ट ने यह भी कहा सामाजिक और आर्थिक रूप से संपन्न लोग सामान्य प्रतिस्पर्धा में भाग लें ,यह बेहतर है। आखिर कब तक गरीबों पर धनवान लोग भारी पड़तेऔर उसका हक सुनते रहेंगे। यह उस समय टिप्पणी आई है जब बिहार में जाति जनगणना को लेकर के उत्तर प्रदेश और बिहार में कुछ राजनीतिक पार्टियों द्वारा उत्तल-पुथल किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की सात जजों के पीठ इस संभावना की तलाश कर रही है कि क्या राज्य, अनुसूचित जातियों की श्रेणी में उपजातियां की पहचान कर सकता है जो अधिक आरक्षण के लायक हैं सुप्रीम कोर्ट का यह रुख सकारात्मक और स्वागत योग है।