भारतीय राजनीति का एक विद्रूप चेहरा यह भी है
स्वतंत्रता के बाद हर गैर भाजपाई को, आर एस एस भाजपा का स्वप्न आता रहता है कभी कभार उसका दौरा भी पडता है , वह दौरा लालू,प्रियंका,राहुल, ममता, स्टालिन व केजरीवालों को भी आता है,दिग्विजय सिंह इसके विशेष आदी हैं।इस खेल में माहिर व महारत हासिल लालू मदारी की भूमिका में हैं और पूरे विपक्ष को लालू ने मरकट बनाकर आत्महत्या के मूड में डाल दिया है।कांग्रेस की बर्बादी की पट कथा के लेखक लालू ही है।और लालू को जो मूर्ख समझें वह महा मूर्ख है।
लालू राजनीति का माहिर खिलाड़ी है वह राहुल और प्रियंका वाड्रा जैसा मूर्ख नहीं है
कांग्रेस की यह सोच की मेरा पति भले मर जाए लेकिन सौतन की विधवा होनी चाहिए इसी सोच ने कांग्रेस को बर्बाद कर दिया
राहुल और प्रियंका वाड्रा ने बीजेपी को खत्म करने के लिए कांग्रेस को सुसाइडल मोड में ला दिया है।
दिल्ली में बीजेपी हारे इसलिए दिल्ली में दोनों चुनाव कांग्रेस मन से नहीं लड़ी जिसका नतीजा हुआ बीजेपी तो हार गई आम आदमी पार्टी जीत गई यही बंगाल में किया यही यूपी में किया यही बिहार में किया यही सब जगह किया
नतीजा यह हुआ कि आज कांग्रेस पार्टी की औकात एक क्षेत्रीय दल जितना भी नहीं रह गई
अगले चुनाव में पंजाब और राजस्थान से कांग्रेस का खात्मा तय है
झारखंड में यह तीसरे नंबर की पार्टी है महाराष्ट्र में भी यह तीसरे नंबर की पार्टी है यानी इन दोनों राज्यों में कांग्रेस जीप के पीछे लटककर चल रही है और अंदर केबिन में मजे से झारखंड मुक्ति मोर्चा शिवसेना और एनसीपी बैठी है
झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा और महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी वाले पीस खा लेते हैं और जो तरी फेकते हैं उसी तरी को कांग्रेसी चाट कर जिंदा है
लालू यादव ये समझ गया था कि अगर कन्हैया कुमार जैसे पढ़े-लिखे कुशल वक्ता भाषण देने में माहिर जो वामपंथियों की कला है को हमने आगे बढ़ा दिया फिर यह मेरे ही दोनों बेटों के लिए खतरा बनेगा
इसीलिए लालू यादव यह कभी नहीं चाहेगा कन्हैया कुमार को एक राजनीतिक प्लेटफार्म मिले
पिछले लोकसभा चुनाव में अगर कन्हैया कुमार के सामने लालू यादव अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किए होते तो कन्हैया कुमार जीत सकता था लेकिन लालू यादव ने बहुत सूझबूझ से कन्हैया कुमार के सामने एक बड़े मुस्लिम नेता को खड़ा किया था और कन्हैया कुमार बुरी तरह से हारा
कन्हैया कुमार बिहार में कदम जमाए इसके पहले ही लालू प्रसाद यादव कन्हैया कुमार को खत्म कर देना चाहता है
और कोई भी दूरदर्शी सोच वाला नेता यही करेगा
यदि 2 चुनाव में कन्हैया कुमार बिहार में सफल नहीं हुए फिर कन्हैया कुमार के ऊपर भी एक फेल नेता का ठप्पा लग जाएगा जैसे आज राहुल गांधी के माथे के ऊपर लगा हुआ है
हो सकता है इससे लालू यादव को कोई खास फायदा ना हो लेकिन लालू यादव को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उनके दोनों बेटों का राजनीतिक भविष्य सुरक्षित रहेगा क्योंकि अब बिहार में तीसरी पीढ़ी के नेताओं के पुत्रों या तीसरी पीढ़ी के नेताओं की ही राजनीति चलने वाली है चिराग पासवान तेजस्वी यादव कन्हैया कुमार और बीजेपी जेडीयू के भी जो युवा नेता है अब उन्हीं की राजनीति चलेगी।पर उनकी सोच व मूल्यांकन अति निकृष्ट कोटि का है।
वैसे बिहार और गुजरात का मुड जो भापे वही असली राजनीतिज्ञ। वैसे भी कांग्रेस हाराकिरी को उद्यत है।