बस्ती
दुर्गा सप्तशती का एक श्लोक है यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता ।।
जहां नारियों का सम्मान होता है वहां देवताओं का वास होता है परंतु आज स्थिति इतनी भयानक हो गई है जो एक असीम त्रासदी का जन्म ले लिया है ।त्रिपुरा में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां जज साहब ने हीं पीड़ित महिला के साथ अन्याय करने का मन बना लिया।
दुनिया अगर अन्याय करती है तो हम जज साहब के पास जाते हैं और न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हैं परंतु अगर जज साहब अन्याय कर रहे हैं तो कोई कहां जाए । यह मामलाजुडिशल मजिस्ट्रेट के रेप का शिकार हुई एक महिला जिसने अपने सेक्सुअल हैरेसमेंट की शिकायत किया है ।गत 16 फरवरी को पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट के चेंबर में अपना पक्ष रखने गई थी उसके साथ एक महिला पुलिस कांस्टेबल भी थी ,लेकिन बयान लेने की बजाय उन्होंने महिला कांस्टेबल को कमरे से बाहर भेजा और खुद हरकत करने लगे।
महिला नियत को भाप कर कमरे से बाहर आ गई और घटना के बारे में सबको बताया। जिला सेशन जज गौतम सरकार की अध्यक्षता में तीन जजों की एक कमेटी बनी है जो जांच कर रही है महिला उत्पीड़न का काम यहीं खत्म नहीं होता। काम की गंभीरता इस बात की है कि महिलाओं के शरीर पर डाका डालने वाले गिरोह के गिरोह में बढ़कर के न्याय देने वाले गिरोह में खुद आ गए हैं ।
अब तक देश में एक लाख से ऊपर महिलाओं के ऊपर संगीन अत्याचार के मामले लंबित हैं जब घर में डर लगने लगता है। घर के बाहर डर लगने लगता है तो महिलाएं न्याय का दरवाजा खटखटाती हैं लेकिन अगर कोर्ट में महिलाओं के साथ कुछ होता है तो क्या होगा।
उत्तर प्रदेश के बांदा में भी एक महिला के साथ ऐसा ही हुआ वहां तो एक महिला जज ही हरासमेंट की शिकार हो गई ।बता दे की 2 महीने पहले महिला ने बताया कि जज ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिखकर अपनी इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई थी हर उम्मीद समाप्त होने पर सिस्टम न्याय दिलाने का दवा किया था और उसको न्याय नहीं मिला था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज महिला की बात को सुनने को तैयार नहीं थे आप कल्पना भी नहीं कर सकते उसे निराशा जो इस सिस्टम ने दी थी उसे उसे मर जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था
नेशनल क्राइम ब्यूरो रिकॉर्ड के अनुसार 2022 में महिलाओं के खिलाफ क्राइम में कुल 445256 मामलेदार जुड़े थे मतलब हर पूरे घंटे पूरे देश में तकरीबन 51 फिर महिलाओं के ऊपर अत्याचार की हो रही है । ए मामले रजिस्टर्ड है। अनरजिस्टर्ड की गिनती नहीं है सरकारी आंकड़ों में हिंसारे प्रताड़ना के मामले तो है ही नहीं ।इस देश की पुलिस कोर्ट कचहरी की किसी फाइल के पन्ने में दर्ज नहीं है। मर्दों को बनाए हुए कानून में महिलाओं को न्याय मिलने की संभावना कम हो गई है। थॉमसन टायर्ड फाउंडेशन ने कुछ साल दुनिया के 193 देश में रखने के बाद महिलाओं के प्रति प्रताड़ना में टॉप लिस्ट में भारत का भी नाम है घर सड़क बस ट्रेन ट्रैफिक हर वक्त हर जगह महिलाओं को डर लगा रहता है महिलाओं के साथ इस तरह के अन्य और मर्दों की नीति बुरी होती नियति स्त्री पुरुष के संबंधों को विकृत करने के लिए और समाज में गलत बात पर परोसने के लिए जिम्मेदार है अगर कहीं महिला को न्याय नहीं मिलता तो उसके पास आत्महत्या करने का तरीका और चार ही क्या बचता है और जहां न्यायालय में ही महिलाएं सुरक्षित नहीं है वहां बाहर किस उम्मीद की जाए।