पुलिस के तमस को कौन दूर करेगा प्रकाश पर्व पर?

बस्ती,कौटिल्य वार्ता

जागते  रहो  ही पुलिस का कर्तव्य मंतव्य दोनो है.जहां क्राइम हैं वहां उसका पेट्रोलर भी।जहां चोर हैं वहां उसका कोतवाल भी।समाज की ज़रूरत ही नहीं बल्कि एक शांतिपूर्ण और कानून एवं व्यवस्था को समाज में बरकरार और व्यक्तिगत हक साथ ही साथ व्यक्ति से सबंधित हर एक वस्तु के बचाव के लिए कानून ने हमें दो आधिकारिक हाथ के रूप में पुलिसकर्मियों को दिया हैं।


बच्चों से लेकर बूढ़ो,जवान से लेकर नवयुवकों,नवयुवतीयों, महिलाओं,ट्रासजैंडर तक के अधिकारों की जिम्मेदारी नियम में रहते हुए निभाने और बचाव का काम हैं वर्दीधारीओं का,जो बखूबी पूरा होता भी हैं।

पर क्या हो जो ये नियमावली उल्टी आपकों परेशान करने लगें.. क्या हैं आपके अधिकार जो आपको बताते हैं कि आपकी रक्षा के लिए दिए गए हाथ,आपके भक्षक नहीं बन सकते :

पुलिस कर्मियों की शक्ति का उल्लेख करता हैं Chapter XI से सेक्शन 149 -153 दंड प्रक्रिया संहिता 1973(Code of Criminal Procedure)।इसके साथ ही पुलिसकर्मियों को u/s 41,42,और 151 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत आधिकारिक तौर पर शक्ति भी प्राप्त हैं जो किसी की भी गिरफ्तारी की स्वतंत्रता देती हैं बिना किसी वारंट के हालात का विचार करते हुए।

पर क्या हो जो रक्षक भक्षक बन जाए।क्या हों जो हाथ आपको आधिकारिक तौर से बचाव की जगह आपके ही दुश्मन बन जाएं!!

पुलिसकर्मियों का दुराचार उल्लेख करता हैं:

अवैध रूप से झूठी गिरफ्तारी करना या झूठा कारावास देना।
गिरफ्तारी का मिथ्याकरण।रिपोर्ट का मिथ्याकरण।
झूठी गवाही या गवाही से छेड़छाड़।
पुलिसकर्मियों की निर्दयता।
रिशवत और पैरवी करना।
अनुचित निगरानी,ढ़ूंढ़ एवं संपत्ति की जब्ती।
आम जनता के अधिकार दुराचार के खिलाफ:

D.K Basu v/s state of West Bengal [(1997) 1 SCC 416, AIR 1997 SC 610 ] के अंतर्गत गिरफ्तारी के दिशानिर्देश जो कि बंधक बनाने के समय पालन होने चाहिए ।
झूठे आरोपों में अथवा अवैध गिरफ्तारी में संविधान आपको व्यक्तिगत आज़ादी और छूट देता हैं Article 19,20 और 21 के तहत।
“Habeas Corpus”एक सुनहरा उपचार हैं जिससे आप अवैध रूप से की गई गिरफ्तारी के खिलाफ उपयोग कर सकते हैं। सभी राज्यों के हाईकोर्ट तथा एकल सुप्रीम कोर्ट “Habeas Corpus”रिट जारी कर सकता हैं Article 32 और Article 226 के अंतर्गत।
यह माना जाता हैं कि ये पूर्णतया पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी हैं कि हिरासत में लिया गया व्यक्ति की देखभाल हो भले ही वो अपराधी हो या नहीं।
Section 93 Code of Criminal Procedure उन हालतों का विवरण देता हैं जब एक वारेंट जारी किया जा सकता हैं।जिसमें कि उचित प्रकार से छानबीन करने का स्थान,समय और तारिख बताया जाना चाहिए ।यह रिपोर्ट लेखन प्रावधान Section 100,Code of Criminal Procedure 1973 के अनुसार होनी चाहिए।(Section 165 CrPC से इसका अपवाद भी हैं) ::कौटिल्य कबीर
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