बस्ती राजस्व अधिकारियों के कदाचार का नया अध्याय, कथित घटना ग्यारह बजे रात की जिसपर शक वह बस्ती आया सबेरे. पटकथा पर शक?

बस्ती

 महिला अधिकारी से दुष्कर्म का प्रयास और जान से मारने की कोशिश के मामले में सर्विलांस रिपोर्ट और शुरुआती जांच में घटना के समय बलरामपुर (उतरौला) के व्यक्ति की मौजूदगी नहीं होने के तथ्य मिले हैं। इससे मामले में नया मोड़ आ गया है। 


पुलिस सूत्रों ने अनुसार, वह सुबह पांच बजे के आसपास महिला अधिकारी के आवास पर पहुंचा था। जबकि पूरा घटनाक्रम रात 11 से एक बजे के बीच का बताया जा रहा है। ऐसे में घटना में किसी और के शामिल होने का संदेह जताया जा रहा है।


हालांकि, पड़ोसी भी अब दबी जुबान बोलने लगे हैं। एक कर्मचारी का कहना है कि मारपीट की आवाज नीचे तक आ रही थी। मगर, बड़े लोगों का मामला है, इसलिए आसपास के लोग कुछ भी कहने से बच रहे हैं। उसके मुताबिक, यदि पुलिस सही से विवेचना करे तो इस पूरे प्रकरण से पर्दा उठ जाएगा।


आरोपी निलंबित नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ला की भूमिका भी पुलिस की नजर में उतनी पाक-साफ नहीं है, जितनी की विशाखा कमेटी की पूछताछ में उसने बयान दिया है। पुलिस का मानना है कि एक प्रशासनिक अधिकारी के घर में मारपीट की जानकारी होने के बावजूद आखिर आरोपी ने पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी। इसे भी मामले का एक अहम पहलू बताया जा रहा है। सोमवार को डीएम स्तर से विशाखा कमेटी की सिफारिशों के आधार पर गठित तीन महिला अधिकारियों की जांच कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि पीड़िता महिला अधिकारी के आवास पर उस वक्त तीसरे व्यक्ति की मौजूदगी की बात सामने आ रही है। एडिशनल एसपी दीपेंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि विवेचना चल रही है। सभी पहलुओं पर जांच की जा रही है

दबिश के बाद भी पुलिस के हाथ खाली

महिला अधिकारी के साथ हुई घटना में ढुलमुल रवैया अपना रही पुलिस ने मामले को शासन के संज्ञान में लेते ही हरकत में आ गई। मगर, तब तक देर हो चुकी थी। न्यायालय से गैर जमानती वारंट जारी कराने के साथ गिरफ्तारी के लिए छह टीमों को लगाया गया। लेकिन बुधवार को भी पुलिस के हाथ आरोपी नायब तहसीलदार नहीं लगा। पुलिस का कहना है कि बस्ती, गोरखपुर व महराजगंज में संभावित स्थानों पर दबिश दी गई।

सियासी दखलंदाजी से बचना चाहती है पुलिस

महिला अफसर से बदसलूकी मामले की जांच में पुलिस सियासी दखलंदाजी से बचकर विवेचना कर रही है। हाई प्रोफाइल मामले के वजह से पुलिस तथ्यों और सबूतों की हर पहलूओं पर पड़ताल कर रही है। यहां तक कि विवेचना कर रही टीम को भी मीडिया से दूर रखा जा रहा है। सूत्रों की मानें तो प्रकरण शासन के संज्ञान में होने के कारण पुलिस फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।

संज्ञान में आया है कि मजिस्ट्रेट ने कथित अभियुक्त पर वारंट जारी कर दिया है 

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