मुसलमान केवल हमास के पक्ष में ही क्यों?

 वे अपनी संस्क्रति का पालन कर रहे है। यही सब उनके मजहब में है। यही इनकी मजहबी शिक्षा या तालीम है। अपने समाज के दुख पर रोओ और दूसरे लोग जिन्हें अप्य खुद पीड़ा दे रहे है के दुख पर खुशी मनाओ उसे अल्लाह का हुक्म समझो। यही इनकी संस्क्रति है। इसे ही मान रहे है और सब एक दूसरे से मिले हुए है।आपसी ताने बाना बहुत मजबूत है लेकिन मानवीयता असल मे नही है, किसी की मदद नही करते है इस्लामी देस। परंतु किसी अन्य मजहब के देश के खिलाफ रहते है तब भाईचारा दिखता है।


वैसे भी सभी आतंकी संगठन ही इसलम की असली सेना है। इसी यरह यह फैला है। अगर दुनिया में 9/11 नही होता और उसका अमरीकी नागरीक शिकार न बनते ,तो दुनिया मे यह सब ऐसे ही चलता रहता जैसा कि चलता चला आ रहा था। भारत आतंक ल शिकार था लेकिन लभी कोसी बिकसित देस ने नही माना न कहीं ने स्वीकार कोय बल्कि भारत की ढुलमुल नीति की कमी बताकर भारत की शिकायत को uno हमेशा दरकिनार करता रहा। यजी तरह आतंकी जिहादी अपना काम आसानी से करते रहते। हर बुराई का अंत जरूर है तो अत्यधिक आत्मविश्वास से लबरेज आतंकी आलकायदा हमास हिजबुल्ला आदि ने यह गलत कदम सोच समझकर खुद को अधिक शक्तिमान समझकर उठा लिया और उसी दिन से आतंक पर अमरीका का प्रहार शुरू हो गया। 

जब अपने सिर पड़ी तो अमरीका ने माना की लादेन और मुल्ला उमर आतंक में लिप्त थे। तालिबान आतंकी ग्रुप है। अब पाकिस्तान भी मान रहा है कि उसके यहां आतंक है। असल मे पाकिस्तान ही तालिबान की नर्सरी है। यही से isi ने इन्हें तैयार कोय है। लहड्ड पाकिस्तान के pm इमरान खान ने uno में अपने उद्बोधन में यह बात स्वीकार की है। अन्यथा भारत मे आतंकी गतिविधियों को अमरीक कश्मीर की आज़ादी का संघर्ष समझकर पाकिस्तान पोषित उन अतंकियो को ही सहयोग दिया जा रहा था। शायद इसी से रिक के विश्व पटल के हित पूरे हो रहे होंगे। अब भी बहुत से अरब इसलामी देश के लोग हमास को फिलिस्तीन की आज़ादी का योद्धा समझने की भूल कर रहे है ।जबकि यह असल मे आतंकी लोगों का एक समूह है जिसका मकसद सर्फ इस्लाम के लिए कुछ भी करना है। यहूदियों का समूल नाश करने है। सभी काफिरों को मारकर जहन्नुम पहुंचकर दुनिया भर में इस्लाम की सत्ता स्थापित करना ही इनका एक मात्र मकसद है। इसी काम मे लगे है हमास हिजबुल्ला जेश के मुहम्मद आदि सभी आतंकी समूह। पाकिस्तान ईरान आदि कुछ अन्य इस्लामी मुल्क इनके प्रश्रयदाता है। कभी लिट्टे और अन्य तमिल समूह श्रीलंका में उपद्रव किये हुए थे। श्रीलंका इनको खतम करके ही अमन चैन से रह सका।

कौटिल्य.कबीर

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