नहाय खाय के साथ छठ पूजा 17 नवम्बर से शुरू
बस्ती/जौनपुर
इस वर्ष सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा 17 नवम्बर से शुरू हो रही है। छठ पूजाको लेकर व्रतधारी महिलायें पूजा में लगने वाली समाग्री की खरीददारी में जुट गई है। बाजार में सूप, दरी, कनी दीया आदि को खरीददारी करने में छठ वर्तधारी महिलाएं जुटी रही। छठ पूजा का विशेष महत्व है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है। पंचाग के अनुसार छठ पूजा का यह पावन पर्व हर साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। संतान की उम्र उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की कामना के लिए रखा जाता है। यह सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है।
पहला दिन नहाय खाय से शुरू होता है। इस साल नहाय-खाय का दिन 17 नवंबर दिन शुक्रवार को है। इस दिन सूर्योदय 06 बजकर 45 मिनट पर होगा वहीं सूर्यास्त शाम 05 बजकर 27 मिनट पर होगा। छठ के दूसरे दिन छठव्रती दिन भर उपवास करती हैं और शाम को खरना करती हैं। शाम को सूर्यास्त के बाद भगवान सूर्य की पूजा के बाद छठव्रती सिर्फ एक बार दूध और गुड़ से बने खीर का प्रसाद ग्रहण करती हैं। इसके बाद उनका 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।महापर्व के तीसरे दिन छठव्रती दिन भर उपवास पर रहती हैं और पूजा के लिए प्रसाद के रूप में ठेकुआ बनाती हैं। इसी दिन पूजा के लिए लोग फलों की भी खरीदारी करते हैं।
शाम को सभी फलों को टोकरी में सजाकर लोग पवित्र नदियों के घाट पर जाते हैं। कई जगहों पर जो लोग घाटों पर नहीं जा पाते हैं वे घर में या पास में ही गड्ढे खुदवा कर उसे मां गंगा का रूप मानकर छठ करते हैं। सभी लोग डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। छठ के चैथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ महापर्व का समापन होता है। इस दिन छठव्रती प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला व्रत तोड़ती हैं। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि छठ करते से परिवार की समृद्धि और कष्टों के निवारण होता है ।