विदेशी और देशी सहायता से चलने वाले मदरसे नहीं चाहते उनकी जांच सरकारी स्तर से हो

 मदरसों को लेकर यूपी में तनातनी, मदरसा बोर्ड और बेसिक शिक्षा विभाग आमने-सामने!।

लखनऊ

 शासन द्वारा विदेशी सहायता से चलने वाले मदरसों की एसआईटी जांच खबर मिलते ही बेसिक शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारी सक्रिय हो गये। बेसिक शिक्षा विभाग के इन्हीं खंड विभाग अधिकारियों द्वारा अलग अलग जिलों के मदरसा संचालकों को नोटिस भेजी गई हैं। जिनमे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद करने को कहा गया है अन्यथा प्रतिदिन दस हजार रुपए प्रतिदिन का जुर्माना वसूलने को कहा गया है।मदरसा बोर्ड का कहना है कि मदरसे शिक्षा विभाग नही अल्पसंख्यक कल्याण और मदरसा बोर्ड द्वारा संचालित होते हैं शिक्षा विभाग द्वारा नहीं है।सरकार का फरमान जारी होते ही बेसिक शिक्षा विभाग खंड विकास अधिकारियों ने मदरसों का चक्कर काटना शुरू कर दिया। उन्होंने संबंधित क्षेत्रों के मदरसा संचालकों से मदरसे के सभी कागजात मांग लिये। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि यदि आपका मदरसा नियमानुसार न चल रहा हो तो बंद कर दें। जिसके खिलाफ उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने ताल ठोंक दिया है।


उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद इस प्रकार के निर्देशों से असहमति व्यक्त किया है। जावेद ने कहा कि 1995 में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के गठन के बाद शिक्षा विभाग में व्यवहरित हो रहे मदरसों का समस्त कार्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को हस्तानान्तरित कर दिया गया। इस के बाद उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004 प्रतिस्थापित किया गया। जिसके माध्यम से उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा विनियमावली 2016 बनाई गई। जिसके बाद से जिला मदरसा शिक्षा अधिकारी का तात्पर्य जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से हो गया। निरीक्षक अरबी मदरसा अथवा अध्यक्ष या निदेशक द्वारा नामित किसी अधिकारी द्वारा कभी भी मदरसों का निरीक्षण किया सकेगा। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004/विनियमवाली 2016 में दिए व्यवस्था के तहत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अलावा किसी भी विभाग के अधिकारी द्वारा ना तो निरीक्षण किया जाएगा और ना ही  किसी प्रकार की नोटिस दी जाएगी। डॉ. जावेद ने कहा कि अक्सर संज्ञान में आता है कि नियमों से हट कर शिक्षा विभाग के अधिकारी जो सक्षम प्राधिकारी ना होने के बावजूद उनके द्वारा जनपद में संचालित मदरसों का निरीक्षण किया जाता है और नोटिस भी दी जाती है जो अधिनियम के विपरीत है।

इस संदर्भ में बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिन विद्यालय की मान्यता नहीं है हम उन्हें नोटिस देते हैं।चाहे प्राथमिक विद्यालय हों या निजी मदरसे हम उनकी मान्यता का वैद्य पेपर की जांच करते हैं। जबकि मदरसा संचालित करने वालों का कहना है कि यह शासनादेश है कि शिक्षा विभाग के लोग मदरसों के संचालन में अड़ंगा न लगायें। इसका माध्यमिक शिक्षा या बेसिक शिक्षा विभाग से कोई मतलब नहीं है।

Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form