अयोध्या में345जिंदा और 1700 लाशो को सरयू से निकालने वाले भगवान दीन तक नहीं पहुंची सरकारी योजनाएं

कौटिल्य वार्ता


नाम भगवान दीन काम कर्मवीर ,यश वीर, धर्मववीर.यह नाम का रिश्ता श्री अयोध्या धाम के एक गोताखोर कर्मवीर का है .जिंदगी हार चुके लोग जब महानदी सरजू में चलांग लगाने और अपनी लीला समाप्त करने के लिए आते हैं तो वही कर्मवीर भगवान दीन बनकर फिर एक बार उन्हें जीने का अवसर देते हैं.

 अब तक 345 लोगों की मौत से मुंह से निकल चुके कर्मवीर का चरित्र किसी हीरो से काम नहीं है .अयोध्या और आसपास के थानों में भगवान दीन का नाम दर्ज है. हेल्पलाइन के रूप में हर प्रशासन इनका इस्तेमाल करता है .जब एनडीआरफ, एसडीआरएफ के पहुंचने में विलंब होता है तब भगवान दिन  कर्मवीर को बुलाया जाता है अब तक 1700 से ऊपर शव  निकाल चुके भगवान दिन का चरित्र किसी बहुत बड़े हीरो से या जीवन दाता से काम नहीं है .भगवान दीन लोगों को बचाने के लिए या मरी हुई लाश को निकालने के लिए किसी से कोई पैसा नहीं लेते और न ही सरकार उनको कुछ सैलरी देती है, यहां तक की लाइव जैकेट तक भगवान दिन के पास नहीं है .

इसके बावजूद भी भगवान दिन को किसी से कोई शिकायत नहीं है हर दिन 20 से 30 फीट गहरे पानी में कूदना कूद कर किसी की जान बचाना ,जान गवा चुके लोगों की लाश को बाहर निकलना  उनकी दिनचर्या बन चुका है .भगवान दिन सुबह 10:00 बजे आ जाते हैं अयोध्या के गुप्तार घाट के किनारे भगवान दिन और उनके भाई किसी होनी अनहोनी की प्रतीक्षा में रहते हैं नाव चलाते हैं .गोताखोरी का काम करते हैं और बचे हुए को ईश्वर की तरह डूबते को तिनके का सहारा ,यहां तब चरितार्थ होता है सरजू में डूबते को भगवान दिन का सहारा .

उनका मोबाइल 24 घंटे ऑन रहता है 6 डिग्री तापमान में भी हो रेस्क्यू करने में नहीं हिचकी जाते हैं .अयोध्या में जान देने के लिए सरजू नदी में कूदने वाले कई जिंदा नहीं बचते तो नदी के किनारे अयोध्या और आसपास करीब 28 गोताखोर हैं और के विपत्ति काल में सब के सहयोगी बंद करके देवदूत की भूमिका निभाते हैं. मां को ब्रेन हेमरेज हो गया था फिर भी भगवान दिन बचाने के लिए नदी में कूद पड़ते हैं लेकिन भगवान दिन के पास अभाव ही उनका स्वभाव है. सरकार को चाहिए कि ऐसे


गोताखोर या प्रशिक्षित गोताखोरों को नदी के किनारे आवास और मानदेय  दे  कर लोगों के जान बचाने में मदद करें .जब लोगों के हाथ पांव फूल जाते हैं. एनडीआरएफ जैसे लोग बचाने में जब चूक जाते हैं तब भगवान दिन और उनकी टीम देवदूत बनकर 15, 20, 25 फीट गहरी नदी में चलांग लगाकर जिंदा को बचाना और मर चुके की लाश को घाट तक पहुंचाना उनके हीरो की भूमिका को प्रदर्शित करता है. ऐसे भगवान भगवान्  दींन को कौटिल्य का भारत अखबार नमन करता है और उनके परिवार को ईश्वर यश कीर्ति दे और सरकार उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से सक्षम बनाएं.

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