बस्ती
भारत सरकार ने सूचना का अधिकार 2005 संसद से पारित कर आम नागरिक को अधिकार दिया था कि किसी सूचना को सक्षम अधिकारी से निर्धारित मांधनों को पूरा करते हुए प्राप्त किया जा सकता है ,परंतु आए दिन सूचना अधिकार की अस्थियां जलाने का काम जन सूचना अधिकारी और अपीलिय अधिकारी मिलकर के कर रहे हैं. यह काम इतनी बखूबी हो रहा है की सूचना न देने की एवज में हिमालय जैसा पहाड़ खड़ा करके हजारों ,लाखों रुपए की फोटोकॉपी के नाम पर की जा रही है .
एक माह के अंदर सूचना देने के सापेक्ष धन का का प्रावधान है उसमें भी गलत को सही-सही को गलत ओवरराइटिंग करके सूचना देने में आनाकानी करने और पैसे का पहाड़ खड़ा करने का आरटीआई कार्यकर्ता के समक्ष मामला प्रकाश में आया है .सूचना कर्मि सुदृष्टि नारायण त्रिपाठी ने अधिशासी अभियंता नलकूप खंड एक बस्ती से कुछ निर्धारित मान बिंदुओं पर सूचनाओं की अपेक्षा किया था ,जिसके तहत सूचना जन सूचना अधिकारी ने 55000 से ऊपर की फीस फोटो स्टेट की मांग कर ले गया .
बताते है कि 26 .8.23 को जो सूचना उन्होंने दिया वह अभिप्रेत नहीं थी .कागज में ओवरराइटिंग करके 30 दिन के बाद सूचना पंजीकृत डाक से भेज कर राशि मांगी गई ,जबकि नियएम के अनुसार 30 दिन के पश्चात सूचना का शुल्क नहीं मांगा जा सकता .सुधिष्ठि नारायण ने प्रथम अपील अधिकारी अधीक्षण अभियंता नलकूप खंड बस्ती मंडल बस्ती से अपेक्षा किया है की कालातीत रजिस्ट्री करना सूचना अधिकार का सीधा-सीधा उल्लंघन है. यह काम इतनी बखूबी किया गया है कि अधिशासी अभियंता नलकूप खंड ने 27 363 पन्ने का 55260 मांग कर एक प्रश्न खड़ा कर दिया है ,जो किसी भी अधिकारी के आचरण नियमावली के खिलाफ है और सरकार को चाहिए सूचना में आनाकानी करने वाले लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही के साथ ही साथ सर्विस ब्रेक करने की भी सजा दें, जिससे सूचना अधिकार अधिनियम में मांगी गई सूचनाओं की पारदर्शिता हमेशा के लिए बनी रहे.
यह तो वही हुआ लढिया के आगे काठ.