तुलसी-कबीर-रामचंद्र की स्थली को जोड़कर बने साहित्य तीर्थ
- हिन्दी साहित्य का हो अपना प्रमाणिक भूगोल : प्रो. शैलेन्द्र नाथ
- गोंडा से निकली साहित्यिक यात्रा बस्ती पहुंची, मगहर व अगौना में होगी संगोष्ठी
बस्ती, कौटिल्य वार्ता
गोंडा में गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली, मगहर में संतकबीर की निर्वाण स्थली और बस्ती में आचार्य रामचंद्र शुक्ल की जन्मस्थली को मिलाकर साहित्य तीर्थ बने। 150 किमी की दूरी में यह तीनों स्थल हैं। साहित्य को ध्यान में रखते हुए देखा जाए तो तीनों अपने समय में साहित्य के शिखर रहे। इन तीनों महान साहित्यकारों की भूमि को जोड़ने से हिन्दी साहित्य का एक प्रमाणिक भूगोल बनेगा। यह बातें प्रो. शैलेन्द्र नाथ मिश्र, निदेशक शोध केंद्र श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज गोंडा ने संवाददाताओं से वार्ता करते हुए कही। वह साहित्यिक यात्रा लेकर बस्ती पहुंचे थे, जो मगहर और अगौना में संगोष्ठी कर अपनी बातों को जन-जन तक पहुंचाएंगे।
हिन्दी साहित्य तीर्थ की परिकल्पना लेकर यात्रा पर निकले प्रो. शैलेन्द्र ने कहा कि आचार्य रामचंद्र शुक्ल का हिन्दी साहित्य के मूल्यांकन में अपूर्व योगदान रहा है। पौराणिक राम जानकी मार्ग पर स्थित अगौना ग्राम शुक्ल उनकी जन्मभूमि है। उन्होंने श्रेष्ठ साहित्य में विरूद्धों के बीच सामंजस्य स्थापित किया। आचार्य की जन्मस्थली से 75 किमी पूरब निर्गुण संप्रदाय व ज्ञानमार्ग के शीर्ष कवि संत कबीर की निर्वाण स्थली है। तो अगौना 75 किमी पश्चिम उत्तर गोस्वामी तुलसी दास की जन्म स्थली तिमुहानी पसका है। इसे पाकनाशक पवित्र स्थान माना जाता है। यहां से सगुण साहित्य की धारा निकली है। इनको जोड़कर साहित्य तीर्थ बनाने की मांग है।
प्रो. शैलेन्द्र ने बताया कि मांगों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए तीन अक्टूबर की रात मगहर में हिंदी साहित्य के आचार्यों, शोधार्थियों साहित्यकारों से वार्ता होगी। चार अक्टूबर को ‘कबीर के राम’ विषयक संगोष्ठी होगी। उसके बाद कलवारी मार्ग से अगौना में 11 बजे ‘साहित्य और लोक मंगल’ विषयक संगोष्ठी होगी। उसके बाद यह यात्रा छावनी, कटरा, नवाबगंज होते हुए गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली पसका तिमुहानी पहुंचेगी। जहां पर ‘तुलसी के राम’ विषयक संगोष्ठी होगी।