मोहन भागवत जी विषधर आपका दूध भी पिएगा और आपको काटेगा भी! उसका विष पूरे देश में फैलेगा

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर्वशक्तिमान सरसंघचालक मोहन भागवत जी चाहे कुछ भी कह ले सर्वधर्म समभाव का जितना भी अलाप  प्रलाप कर सकते हो कर ले , मुसलमान को संघ कार्यालय में बैठ कर नमाज अता भी करा ले ,परंतु उनकी मानसिकता को न पढ़ पाना उनकी सबसे बड़ी ऐतिहासिक भूल होगी .1977 में काशी में संघ कार्यालय पर तत्कालीन विभाग प्रचारक ने राम मंदिर में कुछ मौलानाओं को बुलाकर नमाज के समय उन्हें चटाई उपलब्ध करा कर नमाज पढ़ने के लिए व्यवस्था कराई थी ,उसका राजनीतिक सामाजिक लाभ कुछ भी मिला हो यह तो गवाक्ष का विषय है ,पर आज नागपुर संघ कार्यालय में या झंडेवाला में चटाई पर बेठा कर मुसलमान का स्वागत करने से मोहन भागवत जी आपकी कमजोरी ही सिद्ध होगी.

 किसी भी प्रकार से आपको सदाशयी नहीं माना जाएगा .आपने देश दुनिया के तमाम चीजों को देखा है. विजयदशमी का पर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित संघ विचारधारा के सारे लोगों का वह पथ संकेतक होता है, परंतु आपने जिस तरह से मुसलमान  को सादर स्वीकार्यता दिलाने का पहल किया है वह अपने आप में इस बात की चिंता करता है  कि अपने आने वाले दिनों में जो पियफाई का एजेंडा है 2047 में मुस्लिम राष्ट्र बनाने की उसको आप गति दे रहे हैं .

इसलिए मेरा आपसे आग्रह है की  में ऐसा कोई काम न करिए कि जिससे आतंकी गतिविधियों को प्रोत्साहन मिले जो  मुसलमान भाई आपके साथ हैं वह आपके साथ रहेंगे वह गिनने के हैं .आज मुसलमान  आपके साथ है परंतु जिस तरह से कश्मीर से कन्याकुमारी तक और कछ से गंगासागर तक का इलाका इस्लामी गतिविधियों की चिंता का कारण बनता जा रहा है उसे शायद आप तादआत्मय स्थापित नहीं कर पा रहे हैं .आपको पता है जिस भाव भूमि से डॉक्टर हेडगेवार ने मेडिकल की परीक्षा प्राप्त की थी, बंगाल से उसे पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा सबसे बड़ा त्योहार माना जाता था था ,अब उसे स्थान को मोहर्रम ने ले लिया है क्या आपको नहीं लग रहा चाहे शाहीन बाग का कांड हो ,चाहे कच्छ का कांड हो ,चाहे पुलवामा आक्रमण हो ,चाहे भारत और पाकिस्तान के बीच में तनाव, चाहे हैदराबाद की बिरयानी खाने वाले नेताओं का मामला हो नेपाल सीमांत पर जिस तरह से मस्जिद बनाकर लोगों को प्रलोभन देकर के धर्मांतरण का प्रयास हो रहा है वह सब आपको दिखाई नहीं देता. आपको दिखाई दे रहा है कि किसी भी प्रकार से लोकतंत्र को मजबूत करें ,लेकिन लोकतंत्र की मजबूती आपके विश्वास को इस आधार पर ठेस पहुंचाएगी की मुस्लिम बंधु आपको तिरस्कार करने के बाद स्वीकृत कभी भी नहीं करेंगे .

कितने मुसलमान हैं जिन्होंने राष्ट्रवादी इजराइल का समर्थन किया है, आने वाले दिनों में एक समस्या और भी खड़ी होगी अभी तो आप रोगाण्या शरणार्थियों से जूझ रहे हैं अभी आप बांग्लादेशी शरणार्थियों से जूझ रहे हैं आने वाले दिनों में अगर आपकी इसी तरह की कथित दया नीति रही तो फिर फिलिस्तीनियो को भी भारत में बसने के मांग करने से कोई चुके का नहीं . कितने मुसलमान है जिन्होंने यह बयान देकर के कहा हमास सहित सारे आतंकवादी इस्लाम विरोधी हैं ,तालिबानियों को किस ने मुसलमान ने विरोधी कहा है ,हिजबुल्ला अभी आपके सामने है

इस्लाम आतंकवाद में कहीं स्वीकार नहीं करता परंतु इस्लाम के अनुयायी आतंकवाद की निंदा भी नहीं करता, इसलिए मेरा आपसे आग्रह हैकि आपने जो कुछ भी कहा है वह आपका व्यक्तिगत विषय नहीं हो सकता इसलिए आप संघ के सर्वशक्तिमान नेता के रूप में अपनी विचार सारनी को नागपुर में रख रख रहे थे, आपका रखना अनायास नहीं है आपने भविष्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके विचार को खड़ा को रखने का पूरा प्रयास किया है लेकिन मेरा आपसे आग्रह भी है कि उन लोगों को, जो कभी भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को फूटी आंख नहीं देखना चाहते उनको दूध पिलाएंगे तो दूध पीने वाला विषधर सर्प दूध भी पिएगा और आपको डसेगा भी ,इस बात को मोहन भागवत की याद रखिए.

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