देवरिया नरसंहार की पुनरावृति से बचाएं सरकार! निबंधन कार्यालय की भूमिका भी हो तय

 राजेंद्र नाथ तिवारी

देवरिया नरसंहार को लेकर पूरे प्रदेश में राजस्व मामलों में सरकार और प्रशासन हाई अलर्ट पर हैं .हाई अलर्ट इसलिए कि फिर देवरिया की घटना दोबारा ना हो और नहीं रुद्रपुर की घटना की पुनरावृति हो .परंतु प्राय : देखने में आ रहा है की जिला प्रशासन और सरकार अपने कर्तव्य की इतिश्रि करके संबंधित अधिकारियों ,कर्मचारियों को सस्पेंड बर्खास्त करके करती हैं ,परंतु देवरिया सहित राजस्व मामले में जो हत्याएं हो रही हैं, उसमें सबसे बड़ा अपराधी अगर कोई है तो हर तहसील का निबंधन विभाग है .जहां बड़े पैमाने पर प्रतिदिन रजिस्ट्री होती है. इस रजिस्ट्री की स्थिति है कि कोई भी जाए खतौनी दिखाएं और उसका दो गवाहों के साथ रजिस्ट्रेशन हो जाता है .

बाद में 1 महीने के अंदर खाली दाखिल का भी प्रावधान है .अगर यह सब सरकार और राजस्व वादो निस्तारण के लिए हो रहा है तो फिर लिखने वाला कहां दोषी  है ? इसलिए सरकार को इस पर सचेत रहना चाहिए और अगर सचमुच सरकार सचेत नहीं रहेगी  तो न जाने कितने नरसंहार देवरिया जैसे हो सकते हैं.

 इस केस में एक विशेषज्ञ के अनुसार जब तक निबंधन विभाग में कोई भी रजिस्ट्री करने जाता है और फोटो सहित दो गवाहों से ऑनलाइन कराई जाती है. ऐसे मैटर में अनिवार्य रूप से सरकार यही तय करें कि जो व्यक्ति बैनामा कर रहा है उसके परिवार का कोई भी सदस्य गवाह के रूप में फोटो सहित बैनामा का सहयोगी गवाह बने .वह भाई, पत्नी ,बेटा बेटी में से कोई भी हो सकता है .अगर उसको बुलाने में आनाकानी होती है और अकेले कोई व्यक्ति थर्ड पार्टी को बैनामा करके चला जाता है और रजिस्ट्री विभाग मालामाल होकर के अपने कार्यों कीइतिश्री कर लेता है, तो यह माना जाएगा कि इसमेंvदाल में काला है.  स्थिति यह है कि जब कोई रजिस्ट्री में जाता है तो उसकी इतनी जल्दी रहती है कि किसी को पता न चले .आयकर की अधेयता तक को भी अनदेखी करके रजिस्ट्री विभाग बैनामे  की  प्रक्रिया को ऑनलाइन करने के लिए पूरी ताकत लगा देता है .सुबह से शाम तक जब तक रजिस्ट्री नहीं होती तब तक सांस फूलती रहती है कि कहीं रेट ना बढ़ जाए ,कोई बात न हो जाए, कोई विवाद न बढ़ जाए .

परंतु देवरिया कांड से सीख लेने की जरूरत है की बैनामा के पहले बनामेंदार अपने परिजनों को एक या दो को लाकर के क्रेता के साथ रजिस्ट्री करें. अगर यह होता है तो फिर दुबारा दोबारा देवरिया नरसंहार शायद ही कभी हो .उसे प्रकरण में ही सारे अधिकारियों के साथ तहसीलदार नायब तहसीलदार थाना पुलिस सबको तो अपने निलंबित तो कर दिया लेकिन असली दोषी सहायक निबंधक या उप निबंधक रजिस्ट्रेशन जहां बैनामा होता है, उसके खिलाफ कोई कार्यवाही न करके सरकार ने पारदर्शिता नहीं बरती .

इसलिए विशेषज्ञों की मांग है की रजिस्ट्री करते समय बैनामा के दिन बैनामेदार के परिवार के कोई न कोई सदस्य भी गवाही दे, जिससे समस्या अधिक से अधिक विवाद रहित हो सके.

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