महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरी के अपने हजारों शिष्यों के साथ इजराइल में बसने की अनुमति मांगी.

भारत और इजरायल के दुश्मन एक!


 भारत के विवादित धार्मिक नेता महामंडलेश्वर यदि नरसिंहानंद गिरी ने इसराइल में अपने 2000 शिष्यों के साथ बेसन के लिए इसराइल से मांगती है महामंडलेश्वर का कहना है कि यहूदी और हिंदुओं के शत्रु एक हैं इसलिए हम दोनों मिलकर के आतंकवादी गतिविधियों का खात्मा कर सकते हैं महामंडलेश्वर ने इसराइल सरकार का समर्थन करते हुए वहां बचाने की अनुमति मांगी है उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा है कि वह इसराइल सरकार वहां के धार्मिक नेताओं से अनुरोध करना चाहते हैं कि उन्हें इजराइल में बसने की अनुमति दें .

हमारी धार्मिक अवस्थाओं और मान्यताओं के साथ हमें वहां अपने 1000 शिष्यों के साथ बचने की सुविधा दी जाए इसराइल और समाज युद्ध को लेकर नरसिंहानंद गिरी ने कहा है कि जिस बीमारी बीमारी से ग्रस्त है उन्होंने कहा है कि धार्मिक आस्थाओं को लेकर के इसराइल और भारत कभी भी किसी भी विरोधी का कत्ल नहीं करते हैं हम वैश्विक सह अस्तित्व के सिद्धांत को मानते हैं उन्होंने कहा कि हम शांति के समय में अपना कार्य करेंगे और युद्ध के समय में वायरल सरकार के मदद में काम करेंगे उन्होंने कहा है कि मोहम्मद और उनके अनुयायियों द्वारा तमाम उटपटांग चीज़ लिखकर के हमारे आस्था के द्वारा खिलवाड़ किया जा रहा है.

 इन्हीं लोगों ने 1921 में लिखा था की श्री कृष्णा तेरी गीता जलानी पड़ेगी और 19वीं शदी का लंपट महर्षि .आखिर उनके साथ भारत कितने दिन तक सह अस्तित्व की बात कर सकता है? इसलिए मेरा मानना है कि भारत और इजरायल की राष्ट्रीयता और व्यापकता एक समान है जो भारत का नहीं हो सकता वह इजराइल का नहीं हो सकता हम किसी को छेड़ते नहीं और हम किसी को छोड़ते नहीं ऐसे ध्यान हमारा इजराइल दोनों का है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है हमें जो चढ़ेगा उसको हम छोड़ेंगे नहीं इसलिए महामंडलेश्वर का बयान और प्रासंगिक हो जाता है कि उन्होंने आतंकवादियों से इसराइल को लड़ने में मदद करने की पेशकश की है.

यद्यपि बयान खोखला है और इसको किसी भी सरकार द्वारा मान्य नहीं किया जा सकता फिर भी उन्होंने अपनी मानसिकता को प्रकट करें सिद्ध करने का प्रयास किया है कि मुस्लिम और इस्लामी आतंकवाद से मुक्ति का एक ही उपाय है कि पूरा विश्व एक होकर के इस्लामी आतंकवाद से मुक्ति का प्रयास करें अगर ऐसा नहीं होगा क्या बीमारी कैंसर से भी भयावा रूप ले चुकी है इसके निदान के लिए दुनिया की शक्तियों को संयुक्त राष्ट्र के मंच पर एक घर करके चाय हमर सोना चाहे तालिबान हो चाहे अब्दुल्ला हो चाहे झूला हो सबके खात्मे के लिए या सबके मार्ग परिवर्तन के लिए प्रयास करना चाहिए.

 भारत का प्रयास इजराइल का समर्थन करके स्पष्ट हो गया है कि ढाई हजार वर्षों तक जिस देश को मिटा दिया गया था उसे पर इसराइलियों ने 1948 में आकर के फिर से अपने धर्म और अपनी आस्था और अपनी शक्ति और अपने व्यक्तित्व के आधार पर काम किया है इसलिए दुनिया को इजरायल की राष्ट्रीयता से सीख लेनी चाहिए और हर राष्ट्रीय व्यक्ति को अपने धरती और अपने परिवार और अपनी सरकार को किसी भी सीमा तक जाकर बढ़ाने का अधिकार है.

Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form