अंग्रेजो का आतंक कम था,बस्ती विकास प्राधिकरण के आगे,इसे सरकार समाप्त करे..

 बस्ती विकास प्राधिकरण अपनी स्थापना कल से विवादों की परिधि में तमाम विवादों को जन्म देता रहा है. प्राधिकरण न होता तो शायद बस्ती नगर पालिका परिषद और प्राधिकरण के क्षेत्र में कथित रूप से आने वाले क्षेत्र के नागरिकों और निवासियों की नींद हराम न होती .जिधर देखिए हर व्यक्ति चाहे छोटा हो चाहे मध्यवर्गीय हो चाहे उच्च आर्थिक संपन्नता का हो सबके दिमाग में त्राहिमाम प्राधिकरण ,त्राहिमाम प्राधिकरण चिल्लाता हुआ फिर रहा है.समाधान की नहीं  है.विवादों के घेरे में बस्ती विकास प्राधिकरण की पहचान है.

 यद्यपि जिला प्रशासन सब की समस्याओं के संज्ञान में लेकर काम करता रहता है परंतु बस्ती विकास प्राधिकरण की अपनी कार्य पद्धति ऐसी है वह कुछ भी मानने के लिए तैयार नहीं है. बस्ती जनपद मुख्यालय पर स्थापित बस्ती विकास प्राधिकरण के 90% से ऊपर नागरिक विकास प्राधिकरण के प्रबंधन और इसके द्वारा की जा रही नागरिकों की दुर्गति से आजीज ही जा चुके हैं. इसलिए आम आदमियों की मांग है की बस्ती विकास प्राधिकरण की बस्ती जैसे अविकसित क्षेत्र में कोई आवश्यकता नहीं है. उनका कहना है न प्राधिकरण रहता न हमारे साथ इतना अन्याय होता .

एक  संगठित गिरोह की तरह रेल से जेल तक प्राधिकरण के कथितकर्मी घूमते हैं और गली-गलिहारे ,खेत खलिहान में जहां भी ईट रखा जा रहा है  वहां उसे बिना आर्थिक प्रताड़ना दिए उसकी मुक्ति नहीं देते हैं .आए दिन एक अनुमान के अनुसार अगर विचार किया जाए तो 50 करोड़ की  अधिक धनराशि अवैध रूप से प्राधिकरण की सुरसा  के मुंह में जा चुका है. हमें ऐसी सुरक्षा की कोई आवश्यकता नहीं है.

 हमें तो सुरक्षा, संरक्षण, सफाई और स्वास्थ्य की जरूरत है .अगर पता होता कि  आर्थिक अपराधीकरण मन्मानपन प्राधिकरण संगठित गिरोह द्वारा डकैती और  आर्थिक अपराधी करण को प्रोत्साहन तो शायद बस्ती मंडल मुख्यालय के लोग इस प्राधिकरण को कभी स्वीकार नहीं करते. यहां के जनप्रतिनिधि और अपराधीकरण से जुड़े हुए लोग किसी के पास इस बात का समाधान नहीं है प्राधिकरण की सुरक्षा के कैसे निपटा जाए.

इसलिए बस्ती विकास प्राधिकरण की आवश्यकता बस्ती जैसे अविकसित स्थान को नहीं ही.नागरिक,उद्योगपति,व्यापारी किसान सबकी आवाज एक विकास प्राधिकरण समाप्त हो.पुराने बचे वरिष्ठ नागरिकों का मंतव्य है अंग्रजो का आतंक कम  था,प्राधिकरण के आगे.

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