ओम जय जगदीश हरे भक्ति रचना के प्रणेता श्रद्धाराम फुल्लोरी ,जिनकी आज जयंती है

 राजेंद्रनाथतिवारी

ओम जय जगदीश हरे के प्रणेता प्रसिद्ध इतिहास विद, धर्मज्ञ ,संगीतज्ञ संगीतज्ञ तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी धार्मिक प्रचारक पंजाबी के और हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार पंडित श्रद्धा राम फुलौरी का इतिहास में प्रमुख स्थान है. सनातन धर्म की प्रसिद्ध आरती ओम जय जगदीश हरे की रचना उन्होंने सर्वाधिक महत्व के साथ अपने लिए लोकप्रियता हासिल कर ली .इनका जन्म जालंधर के फ्लोर के प्रसिद्ध ज्योतिषी जयदयाल जी के घर में 30 सितंबर 1837 को हुआ था धार्मिक संस्कार इन्हें बचपन से ही विरासत में मिले थे संस्कृत हिंदी फारसी पंजाबी भाषण और ज्योतिष का ज्ञान पंडित श्रद्धा राम जी ने बाल्यावस्था में ही प्राप्त कर लिया था .


तरुण होते-होते इसमें यह पारंगत हो गए थे इनका विवाह महताब कौर से हुआ था .पंडित जी ने सर्वप्रथम पंजाबी भाषा में अपनी पहली पुस्तक सिखा दे राज जी बिथया लिखी थी .इस पुस्तक से उन्होंने महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य के पतन और उसके बाद अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार का भारत की से वर्णन किया था.  समय की आईसीएस परीक्षा में भी पंडित जी की इस प्रसिद्ध पुस्तक को शामिल किया गया था .अनेक क्रांतिकारी विचारों और सामाजिक नवजागरण के प्रणेता पंडित पंडित श्रद्धा राम जी का योगदान सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में बहुत अधिक था .

1870 में उन्होंने अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना ओम जय जगदीश हरे लिखा था जो भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व में प्रसिद्धि पा लिया पंडित जी जहां भी जाते हैं. अपने इस रचना को लोगों के बीच में गाकर सुनाते अभी सनातन धर्म की प्रसिद्ध आरती भी हो गई है .भक्ति रस की इस आरती को पद और गाकर अलौतिक आनंद तथा भक्ति की सहज अनुभूति होती है .

हिंदी के सर्वप्रथम उपन्यासकार का श्रेय होना भी पंडित श्रद्धा राम के ही नाम जाता है .1877 में हिंदी का प्रथम उपन्यास भाग्यवती इन्होंने नहीं लिखा था दो दर्जन के लगभग रचनाएं लिखकर पंजाबी और हिंदी भाषाओं को इन्होंने समृद्ध किया पंडित श्रद्धा राम फुलौरी जी का 21 जून 1881 में निधन हो गया .

अपनी प्रसिद्ध रचना ओम जय जगदीश हरे के कारण आज सनातन समाज के लिए सर्वाधिक लोकप्रिय भक्ति गीत के प्रणेता पंडित श्रद्धा राम जी ही थे उनका तन मन और धन सब सनातन के प्रति समर्पित था.

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