विंदेश्वरी पाठक स्वच्छता क्षेत्र का भारतवर्ष का बड़ा नाम,जिन्होंने स्वच्छताओर शौचालय का कांसेप्ट ही बदल दिया,जिसको अतीत याद है उसे कितनी कठिनाइयों का सामना करना पढ़ता था, वही जान सकता है,गांधी जी ने अफ्रीका से प्रेरणा लेकर महानता हासिल की , पर पाठक ने आत्मस्फुर्त व्यथा की कथा को मूल मंत्र मान सुलभ शोचालयों का विचार जन स्वीकार्य बना होगा वही जानता होगा,उपेक्षा उपहास घृणा के सोपानो को अंगीकार कर सरकारों को स्वच्छता विषयक नीरस सामग्री पर तैयार करना बड़ा ही कठिन रहा होगा,
आवास और प्रवास दोनो जगह शौच की समस्या कोआंगिकर कर समाज और सरकार सहयोग लेकर भारतवर्ष ही नहीं वैश्विक स्तर पर विषय उठाना और उसको स्वीकार्यता दिलाना कठिन कार्य रहा,देश में सर्वत्र सुलभ शौचालय का कांसेप्ट स्वीकार्य बनाकर अमीर गरीब सबको उपयोगिता बताना और उपयोग करने हेतु पहल करना और करना उन्ही जैसे विरलो का कार्य रहा.
उन्हे विश्व को 500 ह्तियो में स्थान दिलाना उनके कार्य दर्शन की फलश्रुति है,पद्म पुरस्कार सहित अनेक समानों के हकदार श्री पाठक आज अनंत की यात्रा पर प्रस्थान कर गए,अपने दिल्ली स्थित कार्यालय पर ध्वजारोहण के बाद बोलते समय उनको कार्डियो अरेस्ट होगया जहा से उन्हे एम्मस लाया गया जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.
प्रधानमंत्री सहित देश के अनेक गणमान्य लोगों ने उन्हें स्मरण के श्रद्धांजलि दी. वे एक प्रकार से युग पुरुष ही थे.कौटिल्य का भारत परिवार भी गत्तामा को नमन करता है.