अनावृष्टि से परेशान पूर्व का हर किसान

 


अवर्षण से किसानों के माथे पर चिन्ता की लकीरें
जौनपुर,बस्ती। 20अगस्त
सैकड़ों वर्ष पूर्व मौसम, कृषि व पशुओं की प्रजाति पर कही गई घाघ की कहावतें आज भी पूरी तरह फिट बैठती हैं। बरसात के संबंध में उनके द्वारा कही गई कहावत सावन मास बहै पुरवाई, बरधा बेचि बेसाहो गाई सूखा पर पूरी तरह सटीक बैठती है। आशय यह है कि यदि सावन माह में पुरवा हवा चले तो किसान को अपना बैल बेचकर गाय खरीद लेनी चाहिए। वजह कि यह बरसात के लक्षण नहीं है। जिले में भीषण गर्मी से गांव के बुजुर्ग व किसान उनकी कहावतों की रोज चर्चा करते हुए कह रहे हैं कि सभी दृष्टिकोण से सूखा के लक्षण नजर आ रहे हैं जिससे किसान चिंतित हैं कि धान की रोपाई कैसे होगी। साथ ही मक्का, अरहर, उर्द आदि की फसल सूख रही है।   अवर्षण से दिनोंदिन किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी हैं। सावन बीत गया लेकिन उसके बाद भी मानसून की बेवफाई की वजह से धान की फसल प्रभावित हो रही है। दिनभर तेज धूप के चलते खेतों में धूल उड़ रही है।  थोड़ी बहुत बरसात से किसान मक्का, उड़द, अरहर, बाजरा आदि फसलों की बोआई कर दिए। बरसात न होने से फसल सूखने लगी हैं। किसान फसल बचाने को लेकर परेशान हैं क्योंकि कुछ फसल की खेती इंद्र देवता के ही भरोसे होती है।

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