आखिर भारत का अधिसंख्य मुसलमान भारत और भारत माता के प्रति उतरदायी क्यों नहीं। !!!.

अतिसर्वत्रवर्जयेत् !बताते हैं जब किसी चीज की अति हो जाती है तब कोई न कोई नया  नया समीकरण और नई व्यवस्था जन्म लेती है ,जिसको मैंने' बन्धु समझा आ गया वह प्राण लेने ' यह कहावत पूरी तरह से दुनिया के सभी मुसलमानों पर चरितार्थ होती है !


भारत की  तमाम गतिविधियों में सकारात्मक योगदान करने वाला मुसलमान जब धर्म की बात आती है तो धर्मांध हो करके बहुसंख्यक समाज या अल्पसंख्यक समाज जैसे इसाई ,जैन ,पारसी यहूंदी किसी पर भी हो ,आक्रमण करने के लिए तैयार हो जाता है! आखिर इस्लाम जैसे सुविचारित  धर्म, इस तरह के हिंसा की इजाजत देने के लिए इस्लाम से रोटी रोजी चलाने वाली संस्थाएं आखिर इस पर क्यों नहीं जोर देती जहां आए दिन मारकाट तो छोड़ दीजिए जान तक ले- देने की स्थिति आ जाती है !धर्मांधता किसी की भी हो हिंदू होया मुसलमान, ईसाई, यहूदी सब मानवता के लिए खतरा है! हर व्यक्ति को अपने पूजा उपासना पद्धति के हिसाब से जीवन जीने का और धर्म परायण बनने का अधिकार है ।

परंतु चाहे हिंदू हो या मुसलमान जब कृपाण् और कटार लेकर सड़कों पर धर्मांध हो करके गला काटो प्रतिस्पर्धा का सड़क पर  अपराधिक् मंचन करता है, तब लगता है यह व्यक्ति साक्षात पूंछ सिंग  हिन् पशु है ,जिसके अंदर मानवता नाम की कोई चीज नहीं है ,भला श्रद्धालुओं से युक्त सैकड़ों हजारों वर्षों की संस्कृति से जीवन परस्पर जीते रहने वाला ,आखिर आज क्या हो गया है की इस्लाम के धर्मांध हो बहुसंख्यक समाज पर सामाजिक राजनैतिक आर्थिक और वैवाहिक,धर्मांतर्णीय दबाव का उपयोग कर धर्मांतरण तक की प्रक्रिया को अपना रहा है।

 भारत का मुसलमान अबुल कलाम, मोहम्मद करीम छागला और आरिफ मोहम्मद जैसे मुसलमानों का उत्तराधिकारी है परंतु वह ओसामा बिन लादेन, तालिबान ,रोहिगिन्या और पाकिस्तान की संस्कृति को जीने और मरने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है ।

इसलिए मेरा कहना है कि जिस तरह से दो-तीन दशकों से इस्लाम धर्म के मानने वालों की हिंसक गतिविधियां पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बनी हुई है ,वह चिंतासपद है।2005 में समाजशास्त्री डॉ पीटर  मंडे शोध के बाद इस्लाम धर्म के मानने वालों को दुनिया भर के  मुसलमानोकी प्रवृत्ति पर जो पुस्तक लिखी थी उसमें लिखा था स्लेवरी टेहरी दम एंड इस्लाम द हिस्टोरिकल रोड एंड कंपनी ग्रेट इस पुस्तक के लेखक ने यह बताने का प्रयास किया है की जब तक मुसलमानों की जनसंख्या देश और प्रदेश में लगभग 2% के आसपास होती है तब एकदम शांति कानून पसंद और अल्पसंख्यक बनकर जिंदा रहने का प्रयास करते हैं ।जनसंख्या जब  5% से ऊपर हो जाती है तब अनुपात के आधार पर धर्म अन्य धर्मावलंबियों पर दबाव बढ़ा पर अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करने लगते हैं ।उदाहरण के लिए सरकारों और शॉपिंग मॉल पर हलाल का मांस रखने का दबाव बनाने लगते हैं ।हलाला का मांस न खाने से उनकी धार्मिक मान्यताएं प्रभावित होती हैं। इस कदम से पश्चिम के कई खाद्य वस्तुओं में मुसलमानों के तगड़ी पैड बन गई है ।जिन्होंने सुपरमार्केट के मालिकों पर दबाव डालकर वहां हलाल का मांस रखने और बेचने के लिए बाध्य कर दिया ।

इस तरह जनसंख्या का फैक्टर जहां से मजबूत होना शुरू हो जाता है जिस देश में ऐसा हुआ है जैसे फ्रांस ,फिलीपींस, स्वीडनमें इनकी संख्या आनुपातिक अधिक है।इन देशों में मुसलमानों की संख्या 8% पर पहुंचकर  मुसलमानों की सरकारी योजनाओं में दबाव बनाकर अपने क्षेत्रों में शरीयत कानून इस्लाम के कानून के मुताबिक चलने के लिए दबाव बनाते हैं ।

वास्तव में उनका अंतिम लक्ष्य तो यह होता है कि समूचा विश्व  की वयवस्था शरीयत के हिसाब

से चले जब जब जनसंख्या 10% से ऊपर हो जाती है पर दबाव बनाकर संस्कृतियों को प्रभावित करने और कानून के राज में हस्तक्षेप करने और शरीयत के हिसाब से व्यवस्था चलाने के लिए आक्रामक तेवर अपनाने का भरपूर प्रयास करते हैं। किसी भी देश में मुसलमानों की आबादी का 80% हो जाता है तो उस देश में शरीयत शासन प्रायोजित  की जाती है ।

अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों को उनके मूल अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है ,सभी प्रकार के हथकंडे अपनाकर 100% का लक्ष्य पूरा किया जा सकता है जैसे बांग्लादेश में मुसलमान 63% में मिस्र में 90 परसेंट  ऐसा तथ्य है गाजा पट्टी 98% ईरान 98% पाकिस्तान 97% सीरिया 90% मोरक्को 98 वर्ष पाकिस्तान 97% संयुक्त अरब अमीरात 92 परसेंट मुसलमान हो गए हैं।

 अब आप अपने यहां देख लीजिए जहां मुसलमान बहुसंख्यक है और हिंदू समुदाय का जीवन हराम करने के लिए है और जहां एक परसेंट 2% से भी कम है वहां बिल्कुल साधू की तरह सन्यासी की तरह हिंदुओं से मिलकर रहता है मुसलमानों की सोच की दिशा को बदलने के लिए मुल्ला ,मौलवियों को आगे आना चाहिए ,अन्यथा यह तो सच है कि भारत से मुसलमानों को नहीं हटाया जा सकता लेकिन जब बहुसंख्यक समाज जागेगा तो उसका परिणाम बहुत दुखदाई होगा इसलिए चाहे ओवेसी हो चाहे ,रहमान वर्क हो चाहे समाजवादी नेता अखिलेश यादव या आजम खान इनको इमानदारी से विचार कर अपने वोट और अपने वोट बैंक को सहेजने के लिए यह बताना चाहिए राष्ट्र बड़ा है।  कि धर्म से बड़ा राष्ट्र है, इसीलिए अमेरिका में एक बहस चली या फिर वहां का राष्ट्रीय है कौन बहस के बाद ही निर्णय हुआ जो ईसाई धर्म को मानता है वह राष्ट्रीय है जो अमेरिका के संविधान में विश्वास रखता है वह राष्ट्रीय है जो एंग्लो इंडियन है वह राष्ट्रीय है इसके अतिरिक्त अमेरिका के संविधान में किसी का विश्वास नहीं है तो सामने अटलांटिक महासागर है उसमें छलांग लगाकर छोड़ दे क्या भारत के नेता इस बात को अल्पसंख्यक नहीं रह गए उनको यह बताने का प्रयास करेंगे हिंदुओं के साथ मिलजुल कर के रहने में ही भलाई है और जनसंख्या नियंत्रण कानून समान नागरिक संहिता ऐसे हैं जो मुसलमानों के लिए भी लाभदायक हैं।

 विशेषकर मुसलमानों की आबादी महिलाओं की है और जीवन जी रही हैं उनसे प्राप्त होगा और तीन तलाक की व्यवस्था हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी शाहबानो केस तमाम ऐसे केस है जो इस तरह की बातों को पोस्ट करते हैं लेकिन राजनीतिक पार्टियां जैसे कांग्रेश ,जनता दल ,उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी बिहार के लालू के नेतृत्व वाली पार्टी और मुसलमानों के प्रति आत्मसमर्पण कर चुकी ममता की पार्टी केजरीवाल और दक्षिण के तमाम नेता अगर नहीं सोचेंगे तो उनके लिए सबसे बड़ी समस्या हो जाएगी इनके घरों में घुसकर है मुसलमान आज के 20 वर्ष बाद वाद  लिखने वाले के खिलाफ मुकदमा करने के लिए मेरा मानना है दे।

देश रहेगा ,धर्म रहेगा ।अगर देश नहीं है तो धर्म करके आप क्या करेंगे ।कहां जाएंगे इसलिए राष्ट्रीय पुनर्जागरण का अभियान राष्ट्रीयता से ओतप्रोत लोगों में केवल हिंदुओं के लिए ही नहीं है ।आखिर यहां की 90% से ज्यादा यहां का मुसलमान कनवर्टर मुसलमान है ।संत कबीर नगर बस्ती में तमाम ऐसे मुसलमान हैं जो फलाने सिंह फलाने सिंह खतौनी खसरा में उनका नाम आज भी दर्ज है इसलिए मेरा आग्रह है कि सभी मुसलमान हो गए उनको वापस आए या ना आए लेकिन भारत और भारत माता के प्रति उनका समर्पण नहीं है  ऐसे लोगों के लिए  बंगाल की खाड़ी खुली है जहां छलांग लगाकर समुद्र में जा सकते हैं।

मुसलमान को विचरना होगा ,जहाँ के होकर रहने में ही भलाई है, अन्यथा सर्वदा शांति का प्रतीक बौद्ध मतावलम्बी बर्मा आज का म्यांमार जिसने विराथु  पैदा किया है, तब कहना होगा हमे भी एक विराथु चाहिए।

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