भारत एक विविध और विशाल देश है जिसमें मीडिया का महत्वपूर्ण रोल है, जो लोगों को समाचार, जानकारी और विचारों से जोड़ता है। भ्रष्ट पत्रकारिता और यूट्यूब जैसे मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर समस्याएं उभरती हैं जो विशेष रूप से निर्देशित और आपसी प्रभावों के कारण हो सकती हैं। इस लेख में, हम भ्रष्ट पत्रकारिता और यूट्यूब पर संबंधित चुनौतियों को विस्तार से देखेंगे और समाधान पर भी विचार करेंगे।
भ्रष्ट पत्रकारिता:
1. भाषा और सुसंवेदनशील शीर्षक: कुछ मीडिया आकर्षक शीर्षक और विवादास्पद भाषा का उपयोग करके अधिक ट्रैफ़िक आकर्षित करने की कोशिश करता है। ऐसा करके, सत्य की जगह भ्रामक और संदेहास्पद जानकारी फैलाई जा सकती है।
2. चुटकुला के नाम पर समाचार: कुछ मीडिया आर्थिक समस्याओं, विपक्ष के पक्ष या ख़ुद के इश्यूज़ को छिपाने के लिए वास्तविकता से दूर खड़ा करने के लिए चुटकुले बना सकता है। इससे लोगों का विश्वास विचलित हो सकता है।
3. पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग: कुछ पत्रकार अपने रिपोर्टों में न्यायिक तंत्र और संविधान के अनुरूप नहीं रहकर पक्षपातपूर्ण जानकारी देने का दोष कर सकते हैं, जो आम जनता को गुमराह कर सकता है।
यूट्यूब पर चुनौतियां:
1. विषयवस्तु का निर्धारण: यूट्यूब पर विषयवस्तु का चयन करना भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ध्यान आकर्षित करने के लिए विवादास्पद, विशेषज्ञता के बिना या व्यक्तिगत रूप से बनी सामग्री को प्रस्तुत करने की कोशिश होती है। इससे विश्वासघात का ख़तरा होता है।
2. खुले अभिव्यक्ति की आजादी: यूट्यूब पर सामग्री बनाने की आजादी के कारण, कुछ यूट्यूबर अवैध, अशोभनीय और विवादास्पद सामग्री प्रसारित कर सकते हैं। इससे समाज में दुर्भाग्यपूर्ण प्रभाव होता है और इससे समाज में दुर्भाग्यपूर्ण प्रभाव होता है और विश्वास और सत्यनिष्ठता की कमी होती है। इसलिए, भारत में भ्रष्ट पत्रकारिता और यूट्यूब पर सामग्री बनाने वालों को जिम्मेदारी से संबोधित करना जरूरी है और वे उच्चतम पेशेवर मानकों का पालन करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। साथ ही, लोगों को सत्यापित, विश्वसनीय और विशेषज्ञता पर आधारित स्रोतों पर ध्यान देना और खुद को संवेदनशील, संबलित और जागरूक रखना भी महत्वपूर्ण है। ऐसे करके हम समाज को सच्चे, न्यायिक और सकारात्मक समाचार और जानकारी से जुड़ा सकते हैं और सोशल मीडिया और न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म को स्वस्थ और सकारात्मक संदेश को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकते हैं।
पत्रकार और यूट्यूबर दोनों परस्पर विरोधाभाषी है, इसमें एकवर्ग यूट्यूबर को प्रोत्साहित करता है, अपनी लम्बी स्वार्थ सिद्धि तक।इसपर पूर्ण विराम के वीना कथित पत्रकारो का शोषण,उ इनपर प्राण घातक हमलो को रोकना अत्यंत कठिन है।
राजेन्द्र नाथ तिवारी