आर.के. सिन्हा
बीते दिनों उत्तर प्रदेश (यूपी) को लेकर दो बड़ी खबरें आईं, जिसने देश के सबसे बड़े सूबे की एक अलग ही छवि दुनिया के समक्ष पेश की। पहली खबर आई कि बीते अप्रैल महीने में शेयर बाजार से जुड़ने वाले नए निवेशकों की संख्या के मामले में यूपी ने देश की आर्थिक राजधानी वाले राज्य महाराष्ट् तक को पीछे छोड़ दिया है। बॉम्बे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) के मुताबिक, नए डीमैट खाते खोलने में यूपी ने महाराष्ट्र के अलावा भी सभी अन्य राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। इस तरह से यू.पी. की एक साल में 37% की बढ़त हुई है। इसी अवधि में महाराष्ट्र की ग्रोथ 20%, गुजरात की 15%, राजस्थान की 26% और कर्नाटक की 20% ही रही है। शेयर बाजार में यूपी की ठसक लगातार ही बढ़ रही है। शेयर बाजार के गढ़ महाराष्ट्र को ही यूपी वालों ने सीधी टक्कर दे दी है। बीएसई के मुताबिक एक साल में यूपी से 35 लाख नए निवेशकों ने शेयर बाजार में प्रवेश किया है। हालांकि एक समय था जब महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों राज्यों को शेयर बाजार की जान माना जाता था। शेयर बाजार में यूपी के बढ़ते कदम के लिए राज्य की जनता की आय बढ़ने, महिलाओं का बाजार में रुझान और जोखिम की क्षमता उठाने की प्रकृति प्रमुख वजहें हैं। शेयर बाजार के कुल कारोबार में सालाना 1.28 लाख करोड़ का धंधा मात्र यूपी से हो रहा है। इसमें भी 30% की वृद्धि हुई है। इस बीच, अगर हम बीते कुछ सालों पर नजर दौड़ाएं तो यूपी से 2021-22 में 92 लाख निवेशक थे। यह आंकड़ा 2022-23 में हो गया 1.27 करोड़।