मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।
यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि भाजपा सरकार पहले दिन से ही कह रही है कि पिछड़ों को आरक्षण दिए बिना निकाय चुनाव नहीं कराएंगे। सरकार हमेशा ही निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव चाहती है। उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के साथ अप्रैल के अंतिम सप्ताह में हो सकता है।उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव में आरक्षण तय करने के लिए बनाए गए आयोग ने गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसके बाद पिछड़ों का आरक्षण नये सिरे से तय किया जाएगा। प्रदेश सरकार की ओर से निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण निर्धारण के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने निकाय चुनाव में पिछड़ों की हिस्सेदारी तय करने के लिए आयोग को सर्वे के लिए 31 मार्च 2023 तक का समय दिया था लेकिन यह रिपोर्ट तय समय सीमा से करीब 22 दिन पहले ही सरकार को सौंप दी गई है। 350 पेज की इस रिपोर्ट को 2 महीने 10 दिन में तैयार किया गया है।
उन्होंने कहा कि 11 अप्रैल को मामले में सर्वोच्च न्यायालय में तारीख है। सर्वोच्च न्यायालय में सरकार आयोग की रिपोर्ट पेश करेगी। एक दो दिन में रिपोर्ट पेश की जाएगी। ओबीसी को नियमानुसार सम्पूर्ण आरक्षण दिया जाएगा और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत चुनाव कराए जाएंगे। संभावना है कि अप्रैल के अंत तक निकाय चुनाव हो सकते हैं। 350 पेज की रिपोर्ट में ऐसी कई ऐसी सीटों का जिक्र है, जहां 30 साल से आरक्षण बदला ही नहीं गया। इन सीटों को एक ही जाति या श्रेणी के लिए आरक्षित किए जाने का खुलासा किया गया है। सूत्रों के मुताबिक आयोग द्वारा 2002 से 2017 की अवधि में कराये गए निकायों चुनावों में आरक्षण के लिए अपनाई गई प्रक्रिया का विश्लेषण किया गया है।आयोग ने पाया कि नगर निकाय अधिनियम में किए गए प्रावधान के मुताबिक मौजूदा चुनाव के लिए कराए गए रैपिड सर्वे और चक्रानुक्रम आरक्षण प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। आयोग ने निकाय चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया को फूलफ्रूफ बनाने के लिए मौजूदा कानून में बदलाव की भी सिफारिश की है।