जिस दिन हम सबकी सब्ज़ी में आंवले का उपयोग होना शुरू हो गया उस दिन से आधा मेडिकल माफिया जो आपको दिन रात लुटता रहता वह भाग जाएगा। सनातन भारत में सब्जी में खट्टापन लाने के लिये टमाटर के स्थान पर आंवले का प्रयोग होता था । इसलिये सनातन हिंदुओ की हड्डियां महर्षि दधीचि की तरह कठोर होती थीं ,इतनी मजबूत होती थी कि महाराणा प्रताप का महावज़नी भाला उठा सकतीं थी ।
आज तमाम तरह के कैल्शियम विटामिन्स खाने के बाद भी जवानी में ही हड्डियां दर्द करने लगती हैं । जिस मौसम में देशी टमाटर मिले तो ठीक लेकिन अंडे जैसे आकार के अंग्रेजी टमाटर खाने के स्थान पर आंवले का प्रयोग सब्ज़ी को स्वादिष्ट भी बनाएगा और हम सबको मेडिकल माफिया के मकड़जाल से भी बाहर निकालेगा । आंवला ही एक ऐसा फल है जिसमे सब तरह के रस होते है । जैसे आंवला , खट्टा भी है मीठा भी कड़वा भी है नमकीन भी ।
आँवले का सनातन संस्कृति में महत्तम इतना है कि दीपावली के कुछ दिन बाद आँवला नवमी मनाई जाती है । करना केवल इतना है कि साबुत या कटा हुआ आँवला ,बिना बच्चों और आधुनिक सदस्यों को बताए सब्ज़ी में डाल देना है । अगर आँवला साबुत डाला है तो सब्ज़ी बनने के बाद उसको ऐसे ही खा सकतें है । जब आंवला नहीं मिलता तो आँवले को सुखा कर पीस कर इसका प्रयोग करें.