बस्ती
जिस तरह बस्ती के बेसिक शिक्षा अधिकारी आते ही ऐसे बवंडर के शिकार होगये जिसका अनुमान किसी को भी नही रहा होगा।आतेही जिस सक्रियता का प्रदर्शन उन्होंने किया उससे लगता था कही न कही गीली मिट्टी के शिकार होंगे अवश्य।उन्होंने बिन बुलाई विपत्ति को गले लगालिया।एक सम्वेदन शील स्थान पर उन्होंने सम्वेदन हीनता या फिर अकड़ का आलिंगन कर् पद और प्रतिष्ठा दोनो को कलंकित कर् दिया।
जब नियम है कस्तूरबा विद्यालय में असमय बिना महिला सहयोगी के पुरुष अधिकारी का प्रवेश ही निषेध है तब अकड़ दिखाकर साहबी का रुआब नही गाँठना था।अब सही हो या गलत पर कर्म,कुकर्म वायरल होगया,कलक्टर ने जांच बैठा दी फिर बचा क्या एक बिरादरी के अधिकारी की चौखट पर BSA को बचाव में नाक रगड़ना पड़ रहा है यह विसंगति या या महज संयोग ।लर समाज, शोशल मीडिया के अनुत्तरीतप्रश्नो व चर्चाओ पर विराम अब कठिन है।चारित्रिक आरोप साबुन या डिटर्जेंट से नही धुले जाते ,आपने जान बूझ कर् आत्महत्या का प्रयास किया है।जो अक्षम्य,निंदनीय ,अशोभनीय भी है।आखिर 9 बजे रात्रि में आपको क्या अपड़ा की जाना पड़ा।
आपका यह आचरण भविष्य में जिम्मेदारों का दर्पण अवश्य दिखाएगा
BSAसाहब अति सर्वत्र वर्जयेत।यद्द्यपि स्थानीय साक्ष्य आपने पक्ष में कर् लिया है पर आप अपराधी भी नहो पर अपना ओर विभाग का सर नीचा तो करही दिया