केन्द्र सरकार की कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) गठन एंव संवर्धन तथा कृषि अवसंरचना निधि (एग्रीकल्चर इंफ्रास्टेªक्चर फंड) योजना के अन्तर्गत गठित एफपीओ को प्रारम्भिक तीन वर्ष में रू0 18 लाख की वित्तीय सहायता दी जायेंगी। उक्त जानकारी जिलाधिकारी श्रीमती प्रियंका निरंजन ने दिया है। उन्होने बताया कि यह वित्तीय सहायता एफपीओ के प्रबंधकीय खर्चो के लिए दी जायेंगी, जिसके अन्तर्गत एफपीओ पंजीकरण की लागत, सीईओ/लेखाकार का वेतन, आफिस का किराया एंव अन्य उपयोगिता शुल्क इसमें शामिल है।
उन्होने बताया कि योजना के अन्तर्गत गठित एफपीओ को रू0 02 करोड़ बैंक ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा प्रत्येक सदस्य को रू0 2000 तक मैचिंग इक्विटी ग्रांट दी जायेंगी, जो अधिकतम 15 लाख रूपये होगी। इसके लिए एफपीओ में कम से कम 300 सदस्य होना अनिवार्य है।
उन्होने बताया कि योजना के अन्तर्गत गठित एफपीओ के संवर्धन के लिए नाबार्ड के बैंकर्स, इंस्टीट्यूट आफ रूरल डेवलपमेंट (बीआईआरडी), लखनऊ एवं लक्ष्मणराव इनामदार नेशनल एकेडमी फॉर कोऑपरेटिव रिसर्च एंड डेव्लपमेंट (एलआईएनएसी) के माध्यम से विशेष प्रशिक्षण और कौशल विकास की सहायता उपलब्ध होंगी।
उल्लेखनीय है कि किसानों के हित में इस योजना की घोषण मा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चित्रकूट जनपद में 29 फरवरी 2020 को किया था। इसके अन्तर्गत वर्ष 2023-24 तक पूरे प्रदेश में 10 हजार नये एफपीओ बनाये जायेंगें। इस अवधि में एफपीओ को आर्थिक रूप से मजबूत किया जायेंगा। एफपीओ को पर्याप्त क्रेडिट और मार्केट लिंकेज की सुविधा दी जायेंगी। 15 प्रतिशत एफपीओ आकांक्षी जिलों में बनाये जायेंगे। इसके लिए क्रियान्वयन एजेन्सी के रूप में नाबार्ड एवं लघु कृषक, कृषि व्यापार संघ क्रियान्वयन एजेन्सी के रूप में चयनित है।
उन्होने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उ0प्र0 कृषक उत्पादक संगठन नीति 2020 जारी की गयी है, जिसमें कृषि विभाग को नोडल विभाग के रूप में नामित किया गया है। योजना की समीक्षा एंव निगरानी के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। सभी एफपीओ को कृषि विभाग के शक्ति पोर्टल पर रजिस्टेªशन करना अनिवार्य है।
उन्होने बताया कि योजना के अन्तर्गत गठित एफपीओ को रू0 02 करोड़ बैंक ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा प्रत्येक सदस्य को रू0 2000 तक मैचिंग इक्विटी ग्रांट दी जायेंगी, जो अधिकतम 15 लाख रूपये होगी। इसके लिए एफपीओ में कम से कम 300 सदस्य होना अनिवार्य है।
उन्होने बताया कि योजना के अन्तर्गत गठित एफपीओ के संवर्धन के लिए नाबार्ड के बैंकर्स, इंस्टीट्यूट आफ रूरल डेवलपमेंट (बीआईआरडी), लखनऊ एवं लक्ष्मणराव इनामदार नेशनल एकेडमी फॉर कोऑपरेटिव रिसर्च एंड डेव्लपमेंट (एलआईएनएसी) के माध्यम से विशेष प्रशिक्षण और कौशल विकास की सहायता उपलब्ध होंगी।
उल्लेखनीय है कि किसानों के हित में इस योजना की घोषण मा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चित्रकूट जनपद में 29 फरवरी 2020 को किया था। इसके अन्तर्गत वर्ष 2023-24 तक पूरे प्रदेश में 10 हजार नये एफपीओ बनाये जायेंगें। इस अवधि में एफपीओ को आर्थिक रूप से मजबूत किया जायेंगा। एफपीओ को पर्याप्त क्रेडिट और मार्केट लिंकेज की सुविधा दी जायेंगी। 15 प्रतिशत एफपीओ आकांक्षी जिलों में बनाये जायेंगे। इसके लिए क्रियान्वयन एजेन्सी के रूप में नाबार्ड एवं लघु कृषक, कृषि व्यापार संघ क्रियान्वयन एजेन्सी के रूप में चयनित है।
उन्होने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उ0प्र0 कृषक उत्पादक संगठन नीति 2020 जारी की गयी है, जिसमें कृषि विभाग को नोडल विभाग के रूप में नामित किया गया है। योजना की समीक्षा एंव निगरानी के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। सभी एफपीओ को कृषि विभाग के शक्ति पोर्टल पर रजिस्टेªशन करना अनिवार्य है।