बस्ती, 17 फरवरी।
जिला ग्राम्य विकास संस्थान की ओर से चल रहे आपदा प्रबंधन से सम्बंधित विभिन्न जिलों के लेखपालों को प्रशिक्षित किये जाने की कड़ी में ह्यूमन सेफ लाइफ फाउण्डेशन ने सदर ब्लाक परिसर में प्राथमिक चिकित्सा पर अपनी कार्यशाला का आयोजन किया गया। सामाजिक संस्था ह्यूमन सेफ लाइफ फाउण्डेशन के चेयरमैन एवं रेडक्रास ट्रेनर रंजीत श्रीवास्तव ने सिद्धार्थनगर के विभिन्न क्षेत्रो के लेखपालों को आपदा की स्थिति में लोगों की जान बचाने के लिये प्राथमिक उपचार की जानकारी दी।
रंजीत श्रीवास्तव ने लेखपालों को बताया कि जब कोई व्यक्ति घायल या अचानक बीमार पड़ जाता है, तो चिकित्सकीय मदद से शुरूआती समय बेहद महत्वपूर्ण होता है। यही वह समय होता है जब पीड़ित पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिये। रंजीत श्रीवास्तव ने बताया कि प्राथमिक उपचार के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान दिया जाना बेहद आवश्यक है, उन्होंने कहा कि सबसे पहले यह यह सुनिश्चित करें कि आपके घर में प्राथमिक उपचार की व्यवस्था है। इसमें कुछ प्रमुख दवाइयां भी हों जिन तक आसानी से पहुंचा जा सकता हो। किसी पीड़ित की मदद से पहले खुद को सुरक्षित कर लें। दृश्य का अनुमान करते हुए संभावित खतरों का आकलन कर लेना चाहिए, जहां तक संभव हो, दस्तानों का उपयोग करें ताकि खून तथा शरीर से निकलनेवाले अन्य द्रव्य से आप बच सकें।
यदि आपात स्थिति हो तो यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ित की जीभ उसकी श्वास नली को अवरुद्ध तो नहीं कर रही। आपात-स्थिति में मरीज का सांस लेते रहना जरूरी है। यदि सांस बंद हो तो कृत्रिम सांस देने का उपाय करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ित की नब्ज चल रही हो और उसका रक्त-संचार जारी रहे। यह आप बहते हुए खून को देख कर पता लगा सकते हैं। यदि मरीज के शरीर से खून तेजी से बह रहा हो या उसने जहर खा लिया हो और उसकी सांस या हृदय की धड़कन रुक गयी हो, तो तेजी से काम को रफ़्तार देना चाहिए। क्योंकि उस वक्त हर सेकेंड का महत्व है।
रंजीत श्रीवास्तव ने बताया कि यह भी महत्वपूर्ण है कि गर्दन या रीढ़ में चोट लगे मरीज को इधर से उधर खिसकाया न जाये। यदि ऐसा करना जरूरी हो तो धीरे-धीरे करें। यदि मरीज ने उल्टी की हो और उसकी गर्दन टूटी नहीं हो तो उसे दूसरी ओर कर दें। मरीज को कंबल आदि से ढंक कर गर्म रखें। जब आप किसी मरीज की प्राथमिक चिकित्सा कर रहे हों तो किसी दूसरे व्यक्ति को चिकित्सकीय मदद के लिए तुरंत भेजना चाहिए। जो व्यक्ति चिकित्सक के पास जाये, उसे आपात स्थिति की पूरी जानकारी हो और वह चिकित्सक से यह सवाल जरूर करे कि एंबुलेंस पहुंचने तक क्या किया जा सकता है। उस वक्त शांत रह कर पूरे मनोबल से मरीज को मनोवैज्ञानिक समर्थन देना चाहिए।
किसी बेहोश या अर्द्ध बेहोश मरीज को तरल चीज कभी नहीं पिलाना चाहिए, क्योंकि तरल पदार्थ उसकी श्वास नली में प्रवेश कर सकता है और उसका दम घुट सकता है। किसी बेहोश व्यक्ति को चपत लगा कर या हिला कर होश में लाने की कोशिश कभी नहीं करनी चाहिए। मरीज के पास कोई आपातकालीन चिकित्सकीय पहचान-पत्र की तलाश करें ताकि यह पता चल सके कि मरीज को किसी दवा से एलर्जी है या नहीं अथवा वह किसी गंभीर बीमारी से तो ग्रस्त नहीं है। प्रशिक्षण के दौरान रंजीत श्रीवास्तव ने लेखपालों को दिल का दौरा पड़ने, हाथ पैर कट जाने या टूट जाने, शॉक लगने, पानी में डूबने, सांस रूक जाने, जलने, सांप, कुत्तों व बंदरों के काटने, सीपीआर द्वारा मानव जीवन को बचाने पर दिये जाने वाले प्राथमिक उपचार का महत्व और इसके तरीके बताये। जिला प्रशिक्षण अधिकारी डॉ विवेक कुमार, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी रंजीत रंजन, मुकेश कुमार, पवन चौधरी, डॉ एल के पांडेय, रणविजय सिंह, अपूर्व शुक्ल, प्रतीक भाटिया सहित कई लोग मौजूद रहे।
रंजीत श्रीवास्तव ने लेखपालों को बताया कि जब कोई व्यक्ति घायल या अचानक बीमार पड़ जाता है, तो चिकित्सकीय मदद से शुरूआती समय बेहद महत्वपूर्ण होता है। यही वह समय होता है जब पीड़ित पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिये। रंजीत श्रीवास्तव ने बताया कि प्राथमिक उपचार के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान दिया जाना बेहद आवश्यक है, उन्होंने कहा कि सबसे पहले यह यह सुनिश्चित करें कि आपके घर में प्राथमिक उपचार की व्यवस्था है। इसमें कुछ प्रमुख दवाइयां भी हों जिन तक आसानी से पहुंचा जा सकता हो। किसी पीड़ित की मदद से पहले खुद को सुरक्षित कर लें। दृश्य का अनुमान करते हुए संभावित खतरों का आकलन कर लेना चाहिए, जहां तक संभव हो, दस्तानों का उपयोग करें ताकि खून तथा शरीर से निकलनेवाले अन्य द्रव्य से आप बच सकें।
यदि आपात स्थिति हो तो यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ित की जीभ उसकी श्वास नली को अवरुद्ध तो नहीं कर रही। आपात-स्थिति में मरीज का सांस लेते रहना जरूरी है। यदि सांस बंद हो तो कृत्रिम सांस देने का उपाय करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ित की नब्ज चल रही हो और उसका रक्त-संचार जारी रहे। यह आप बहते हुए खून को देख कर पता लगा सकते हैं। यदि मरीज के शरीर से खून तेजी से बह रहा हो या उसने जहर खा लिया हो और उसकी सांस या हृदय की धड़कन रुक गयी हो, तो तेजी से काम को रफ़्तार देना चाहिए। क्योंकि उस वक्त हर सेकेंड का महत्व है।
रंजीत श्रीवास्तव ने बताया कि यह भी महत्वपूर्ण है कि गर्दन या रीढ़ में चोट लगे मरीज को इधर से उधर खिसकाया न जाये। यदि ऐसा करना जरूरी हो तो धीरे-धीरे करें। यदि मरीज ने उल्टी की हो और उसकी गर्दन टूटी नहीं हो तो उसे दूसरी ओर कर दें। मरीज को कंबल आदि से ढंक कर गर्म रखें। जब आप किसी मरीज की प्राथमिक चिकित्सा कर रहे हों तो किसी दूसरे व्यक्ति को चिकित्सकीय मदद के लिए तुरंत भेजना चाहिए। जो व्यक्ति चिकित्सक के पास जाये, उसे आपात स्थिति की पूरी जानकारी हो और वह चिकित्सक से यह सवाल जरूर करे कि एंबुलेंस पहुंचने तक क्या किया जा सकता है। उस वक्त शांत रह कर पूरे मनोबल से मरीज को मनोवैज्ञानिक समर्थन देना चाहिए।
किसी बेहोश या अर्द्ध बेहोश मरीज को तरल चीज कभी नहीं पिलाना चाहिए, क्योंकि तरल पदार्थ उसकी श्वास नली में प्रवेश कर सकता है और उसका दम घुट सकता है। किसी बेहोश व्यक्ति को चपत लगा कर या हिला कर होश में लाने की कोशिश कभी नहीं करनी चाहिए। मरीज के पास कोई आपातकालीन चिकित्सकीय पहचान-पत्र की तलाश करें ताकि यह पता चल सके कि मरीज को किसी दवा से एलर्जी है या नहीं अथवा वह किसी गंभीर बीमारी से तो ग्रस्त नहीं है। प्रशिक्षण के दौरान रंजीत श्रीवास्तव ने लेखपालों को दिल का दौरा पड़ने, हाथ पैर कट जाने या टूट जाने, शॉक लगने, पानी में डूबने, सांस रूक जाने, जलने, सांप, कुत्तों व बंदरों के काटने, सीपीआर द्वारा मानव जीवन को बचाने पर दिये जाने वाले प्राथमिक उपचार का महत्व और इसके तरीके बताये। जिला प्रशिक्षण अधिकारी डॉ विवेक कुमार, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी रंजीत रंजन, मुकेश कुमार, पवन चौधरी, डॉ एल के पांडेय, रणविजय सिंह, अपूर्व शुक्ल, प्रतीक भाटिया सहित कई लोग मौजूद रहे।