7377 करोड़ रुपए के फ्राड में कानपुर के श्रीलक्ष्मी कॉटसिन पर सीबीआई छापे, यूपी का सबसे बड़ा घोटाला! 45 अफसरों ने एक साथ दस ठिकानों पर की कार्रवाई

7377 करोड़ रुपए के फ्राड में कानपुर के श्रीलक्ष्मी कॉटसिन पर सीबीआई छापे, यूपी का सबसे बड़ा घोटाला!


45 अफसरों ने एक साथ दस ठिकानों पर की कार्रवाई



मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। 

टेक्सटाइल और रक्षा उत्पाद बनाने वाली कानपुर की बड़ी कंपनी श्रीलक्ष्मी कॉटसिन लिमिटेड के खिलाफ सीबीआई ने 7377 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर ताबड़तोड़ छापे मारे। सीबीआई के 45 अधिकारियों ने कंपनी के दस ठिकानों पर छापे मारे, जहां पूछताछ चल रही है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के डीजीएम राजीव खुराना ने एक जून को सीबीआई में शिकायत की थी, जिसकी जांच के बाद यह कार्रवाई की गई। डिफाल्ट होने वाली रकम के लिहाज से यह यूपी का सबसे बड़ा मामला है।



सीबीआई ने श्रीलक्ष्मी कॉटसिन के खिलाफ चार अगस्त को धारा 120 बी, 406, 420, 468, 471, 477ए सहित कई अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी। शनिवार सुबह आठ बजे केंद्रीय जांच एजेंसी की दस टीमों ने एक साथ कंपनी के परिसरों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई कानपुर में कृष्णापुरम स्थित मुख्यालय, फैक्टरी, फतेहपुर में मलवां, रेवाड़ी, अभयपुर, रहसूपुर, रुड़की, नोएडा और दिल्ली में की गई। एनसीएलटी के आदेश के बाद नीलाम हो चुकी रहसूपुर और नोएडा की दो इकाइयों को भी जांच के दायरे में रखा गया है। डॉ. एमपी अग्रवाल, सीएमडी, श्रीलक्ष्मी कॉटसिन लिमिटेड का कहना है कि सीबीआई के पहुंचने की सूचना मुझे मिली है। पत्नी का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण एस्कार्ट्स हॉस्पिटल दिल्ली में एडमिट कराया है। मैं भी उन्हीं के साथ हूं।  

 


रोटोमैक ग्लोबल और फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के बाद श्रीलक्ष्मी कॉटसिन कानपुर की तीसरी कंपनी है, जो डिफाल्टर हुई है। हालांकि, डिफाल्ट होने वाली रकम के मामले में सबसे बड़ी कंपनी है। 1993 में कानपुर में श्रीलक्ष्मी कॉटसिन लिमिटेड की नींव डाली गई। शुरुआत में बुलेटप्रूफ जैकेट्स के अलावा कई प्रतिरक्षा उत्पाद बनाए। ब्लास्टप्रूफ वाहन बनाए। 2005-06 में कंपनी डेनिम कपड़े के उत्पादन में उतरी। इसके लिए बैंकों से करीब 85 करोड़ रुपये का लोन लिया गया। काम सफल रहा तो रुड़की और हरियाणा में भी यूनिटें लगाई गईं। 2006 में कंपनी ने अपनी उत्पादन क्षमता दोगुनी कर दी। 2010 में टेक्निकल टेक्सटाइल के उत्पादन के लिए सेंट्रल बैंक से 693 करोड़ रुपये, इक्विटी बाजार से 200 करोड़ और अपनी तरफ से 100 करोड़ रुपये के निवेश का खाका तैयार किया लेकिन ग्लोबल हालात ने कंपनी की हालत पतली कर दी और आखिरकार डूब गई। 


इस प्रकरण में छह नामजद व अज्ञात के विरुद्ध जालसाजी का आरोप लगा है। नामजद लोगों का विवरण इस प्रकार है। श्रीलक्ष्मी कॉटसिन लिमिटेड, कृष्णापुरम, जीटी रोड कानपुर, डॉ. एमपी अग्रवाल, पवन कुमार अग्रवाल, देवेश नारायण गुप्ता, शारदा अग्रवाल और अज्ञात सरकारी अधिकारी-कर्मचारी।

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