बस्ती एनआईसी में वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के एफपीओ के प्रतिनिधियों का हुआ प्रशिक्षण
कार्यक्रम में एपीओ प्रतिनिधियों के साथ कृषि विभाग के जनपदीय अधिकारी हुए शामिल
छः घंटे चले ऑनलाइन प्रशिक्षण में एफपीओ के जरिये किसानों के आय बढ़ाने पर हुआ मंथन
बस्ती/उत्तरप्रदेश
कार्यक्रम में एपीओ प्रतिनिधियों के साथ कृषि विभाग के जनपदीय अधिकारी हुए शामिल
छः घंटे चले ऑनलाइन प्रशिक्षण में एफपीओ के जरिये किसानों के आय बढ़ाने पर हुआ मंथन
बस्ती/उत्तरप्रदेश
कृषि विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश कृषक उत्पादक संगठन नीति, 2020 के क्रियान्वयन की दिशा में ‘‘फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनियों के निदेशकों का राज्य स्तरीय प्रशिक्षण‘‘ कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से आयोजित किया गया। जिसमें बस्ती के एन.आई.सी. में जिले कृषि महकमें के साथ जनपद के एफपीओ के प्रतिनिधि भी जुड़े।
यह सजीव प्रसारण लखनऊ स्थित योजना भवन के एन0आई0सी0 केन्द्र से संचालित किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव (कृषि) डा0 देवेश चतुर्वेदी, प्रमुख सचिव (सहकारिता) बी0एल0मीणा, कृषि निदेशक विवेक कुमार सिंह, निदेशक उद्यान श्री आर0के0तोमर, निदेशक मण्डी, मुख्य व्यवसायिक मैनेजर नैबकिसान के अतिरिक्त ग्राम्य विकास विभाग कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण एवं कृषि विभाग की टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (बी0एम0जी0एफ0 समर्थित) के प्रतिनिधियों ने मुख्यालय स्तर से प्रशिक्षण प्रदान किया।
कार्यक्रम में प्रदेश के सभी 75 जनपदों के एन0आई0सी0 केन्द्रों पर कृषि व सम्बद्ध विभागों के साथ-साथ जनपद में पंजीकृत कृषक उत्पादक संगठनों के निदेशकों व प्रतिनिधियों द्वारा उत्साह के साथ प्रतिभाग किया गया।
जनपद से इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उप निदेशक कृषि डॉ संजय त्रिपाठी, जिला कृषि अधिकारी संजेश कुमार, सीए. अजीत कुमार चौधरी, सिद्धार्थ फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी से बृहस्पति कुमार पाण्डेय व विजेंद्र बहादुर पाल , रामा एफपीसी से आलोक पाण्डेय सहित अन्य एफपीओ के प्रतिनिधि शामिल हुए। बृहस्पति कुमार पाण्डेय द्वारा कालानमक की जैविक खेती करनें वाले किसानो के जैविक प्रमाणीकरण संस्था द्वारा प्रमाणीकरण कराये जाने का मुद्दा उठाया गया जिसे अधिकारियों नें सम्बंधित विभाग को निर्देशित करके पूरा कराने का आश्वासन दिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि विभाग की संचालित योजनाओं यथा दृष्टि योजना, फार्म मशीनरी बैंक, कस्टम हायरिंग केन्द्रों के साथ-साथ प्रमाणित बीज, कीटनाशी रसायनों तथा उर्वरक बिक्री केन्द्रों की स्थापना हेतु लाइसेन्स निर्गत किये जाने की प्रक्रियाओं पर विभागीय अधिकारियों द्वारा विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी। कार्यक्रम में उपस्थित कृषि निदेशक द्वारा अवगत कराया गया कि प्रदेश में गठित कृषक उत्पादक संगठनों को विभागीय अधिकारियों का पूर्ण सहयोग प्रदान करते हुए उन्हें कृषकों की संजीवनी बनने हेतु प्रेरित किये जाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण द्वारा विभाग में संचालित योजनाओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए अवगत कराया गया कि प्रदेश में कृषक उत्पादक संगठनों के माध्यम से सब्जियों, फूलों व फलों की खेती को नवीन तकनीकी अपनाकर अधिक आय परक बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि कृषक उत्पादक संगठनों को खाद्य प्रसंस्करण के साथ-साथ मूल्य संवर्धन व मूल्य श्रृंखला स्थापित करने की विशेष आवश्यकता है। उन्होंने नर्सरी, पालीहाउस के साथ-साथ उ0प्र0 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति, 2017 के विषय में भी विस्तृत जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में बोलते हुए उप निदेशक मत्स्य द्वारा अवगत कराया गया कि उनके विभाग द्वारा भी मत्स्य पालकों के समूह को कृषक उत्पादक संगठन के रूप में संगठित होकर विभागीय योजनाओं का लाभ उठाने हेतु प्रेरित किया जा रहा है।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख सचिव, सहकारिता द्वारा कृषि अवसंरचना निधि योजना पर विस्तृत चर्चा करते हुए अवगत कराया गया कि कृषक उत्पादक संगठनों को विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियों हेतु बैंक से ऋण प्राप्त करने पर अधिकतम 2 करोड़ तक की ऋण धनराशि पर 3 प्रतिशत का ब्याज अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होंने बताया कि इस योजनान्तर्गत कृषक उत्पादक संगठनों द्वारा फार्म मशीनरी बैंकों सहित 17 प्रकार के कार्यो हेतु ऋण लेने पर भी इस योजना का लाभ उठाया जा सकता है। इस कार्यक्रम में नैबकिसान (नाबार्ड) के श्री राजशेखर द्वारा बताया गया कि यह कम्पनी कृषक उत्पादक संगठनों को उनकी व्यवसायिक गतिविधियों को संचालित करने हेतु तीन प्रकार के ऋण प्रदान करती है। इस हेतु कृषक उत्पादक संगठनों को नाबार्ड के जनपदीय अधिकारियों से सम्पर्क कर लाभ उठाना चाहिए।
कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए निदेशक मण्डी द्वारा कृषक उत्पादक संगठनों को मण्डी में निवेश केन्द्रों की स्थापना भण्डारण हेतु गोदामों की उपलब्घता के साथ-साथ गेहॅूं क्रय क्रेन्द्र संचालित करने हेतु मंडी परिषद के कार्यक्रमों से अवगत कराते हुए उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति 2019 पर विस्तृत चर्चा की गयी। कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए श्री पी0एस0ओझा द्वारा कृषि जलवायु अंचलों के अनुरूप, कृषकों की आवश्यकता आधारित व बाजार की मांग के अनुसार अपनी व्यवसायिक योजनाओं को तैयार कर इसे अमल में लाये जाने का सुझाव दिया गया। कार्यक्रम में उपस्थित डा0 पंकज त्रिपाठी, संयुक्त कृषि निदेशक (दलहन) द्वारा बताया गया कि कृषक उत्पादक संगठनों को व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन हेतु पांच लाख तक के बैंक ऋण पर चार प्रतिशत का ब्याज अनुदान विभाग द्वारा प्रदान किया जायेगा। इस हेतु शीघ्र ही पोर्टल पर व्यवस्था की जा रही है। कृषि विभाग उत्तर प्रदेश की टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (बिल एंड मिलिंडा गेट्स फॉउंडेशन समर्थित) के प्रतिनिधि तरूण परिहार द्वारा यू0पी0एफ0पी0ओ0 शक्ति पोर्टल से होने वाले सम्भावित लाभों के बारे में विस्तार से बताया। साथ-साथ उन्होंने पोर्टल पर कृषक उत्पादक संगठनों को अपनी सूचनायें यथा उत्पाद, निवेशों की मांग एवं कम्पनी के लाभार्थियों से सम्बन्धित विवरण अवश्य साझा करने का सुझाव दिया। जिससे उनकी रैकिंग निरन्तर प्रदर्शित होती रहे। टीएसयू ने सभी लाभार्थियों द्वारा सफल ऑनबोर्डिंग और उपयोग सुनिश्चित करने के लिए पोर्टल पर अपनी जानकारी अपलोड करने में एफपीओ को प्रशिक्षित करने की योजना का भी उल्लेख किया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अपर मुख्य सचिव (कृषि) डा0 देवेश चतुर्वेदी द्वारा विभिन्न विभागों के अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे अपनी योजनाओं व कार्यक्रमों जिनसे कृषक उत्पादक संगठनों से जोड़ा अथवा लाभान्वित किया जा सकता है, विषयक दिशानिर्देश जनपद के अधिकारियों को अवश्य प्रेषित करें। उन्होंने कृषक उत्पादक संगठनों से अपेक्षा की कि वह अपना डेटा पोर्टल पर उपलबध करा दें जिससे कि आगामी माह में कराये जाने वाले मण्डल स्तरीय कार्यक्रम में वो प्रशिक्षित हो सके। कार्यक्रम में विभिन्न जनपदों के कृषक उत्पादक संगठनों द्वारा इंगित किये गये बिन्दुओं/सुझावों को संकलित कर उन पर कार्यवाही/समाधान किये जाने के निर्देश अपर मुख्य सचिव, कृषि द्वारा दिया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सिद्धार्थ फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में अपर मुख्य सचिव (कृषि) डा0 देवेश चतुर्वेदी द्वारा बताया गया कि आगामी माह में पुनः प्रशिक्षण सत्र आयोजित होगा।
यह सजीव प्रसारण लखनऊ स्थित योजना भवन के एन0आई0सी0 केन्द्र से संचालित किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव (कृषि) डा0 देवेश चतुर्वेदी, प्रमुख सचिव (सहकारिता) बी0एल0मीणा, कृषि निदेशक विवेक कुमार सिंह, निदेशक उद्यान श्री आर0के0तोमर, निदेशक मण्डी, मुख्य व्यवसायिक मैनेजर नैबकिसान के अतिरिक्त ग्राम्य विकास विभाग कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण एवं कृषि विभाग की टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (बी0एम0जी0एफ0 समर्थित) के प्रतिनिधियों ने मुख्यालय स्तर से प्रशिक्षण प्रदान किया।
कार्यक्रम में प्रदेश के सभी 75 जनपदों के एन0आई0सी0 केन्द्रों पर कृषि व सम्बद्ध विभागों के साथ-साथ जनपद में पंजीकृत कृषक उत्पादक संगठनों के निदेशकों व प्रतिनिधियों द्वारा उत्साह के साथ प्रतिभाग किया गया।
जनपद से इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उप निदेशक कृषि डॉ संजय त्रिपाठी, जिला कृषि अधिकारी संजेश कुमार, सीए. अजीत कुमार चौधरी, सिद्धार्थ फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी से बृहस्पति कुमार पाण्डेय व विजेंद्र बहादुर पाल , रामा एफपीसी से आलोक पाण्डेय सहित अन्य एफपीओ के प्रतिनिधि शामिल हुए। बृहस्पति कुमार पाण्डेय द्वारा कालानमक की जैविक खेती करनें वाले किसानो के जैविक प्रमाणीकरण संस्था द्वारा प्रमाणीकरण कराये जाने का मुद्दा उठाया गया जिसे अधिकारियों नें सम्बंधित विभाग को निर्देशित करके पूरा कराने का आश्वासन दिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि विभाग की संचालित योजनाओं यथा दृष्टि योजना, फार्म मशीनरी बैंक, कस्टम हायरिंग केन्द्रों के साथ-साथ प्रमाणित बीज, कीटनाशी रसायनों तथा उर्वरक बिक्री केन्द्रों की स्थापना हेतु लाइसेन्स निर्गत किये जाने की प्रक्रियाओं पर विभागीय अधिकारियों द्वारा विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी। कार्यक्रम में उपस्थित कृषि निदेशक द्वारा अवगत कराया गया कि प्रदेश में गठित कृषक उत्पादक संगठनों को विभागीय अधिकारियों का पूर्ण सहयोग प्रदान करते हुए उन्हें कृषकों की संजीवनी बनने हेतु प्रेरित किये जाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण द्वारा विभाग में संचालित योजनाओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए अवगत कराया गया कि प्रदेश में कृषक उत्पादक संगठनों के माध्यम से सब्जियों, फूलों व फलों की खेती को नवीन तकनीकी अपनाकर अधिक आय परक बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि कृषक उत्पादक संगठनों को खाद्य प्रसंस्करण के साथ-साथ मूल्य संवर्धन व मूल्य श्रृंखला स्थापित करने की विशेष आवश्यकता है। उन्होंने नर्सरी, पालीहाउस के साथ-साथ उ0प्र0 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति, 2017 के विषय में भी विस्तृत जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में बोलते हुए उप निदेशक मत्स्य द्वारा अवगत कराया गया कि उनके विभाग द्वारा भी मत्स्य पालकों के समूह को कृषक उत्पादक संगठन के रूप में संगठित होकर विभागीय योजनाओं का लाभ उठाने हेतु प्रेरित किया जा रहा है।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख सचिव, सहकारिता द्वारा कृषि अवसंरचना निधि योजना पर विस्तृत चर्चा करते हुए अवगत कराया गया कि कृषक उत्पादक संगठनों को विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियों हेतु बैंक से ऋण प्राप्त करने पर अधिकतम 2 करोड़ तक की ऋण धनराशि पर 3 प्रतिशत का ब्याज अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होंने बताया कि इस योजनान्तर्गत कृषक उत्पादक संगठनों द्वारा फार्म मशीनरी बैंकों सहित 17 प्रकार के कार्यो हेतु ऋण लेने पर भी इस योजना का लाभ उठाया जा सकता है। इस कार्यक्रम में नैबकिसान (नाबार्ड) के श्री राजशेखर द्वारा बताया गया कि यह कम्पनी कृषक उत्पादक संगठनों को उनकी व्यवसायिक गतिविधियों को संचालित करने हेतु तीन प्रकार के ऋण प्रदान करती है। इस हेतु कृषक उत्पादक संगठनों को नाबार्ड के जनपदीय अधिकारियों से सम्पर्क कर लाभ उठाना चाहिए।
कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए निदेशक मण्डी द्वारा कृषक उत्पादक संगठनों को मण्डी में निवेश केन्द्रों की स्थापना भण्डारण हेतु गोदामों की उपलब्घता के साथ-साथ गेहॅूं क्रय क्रेन्द्र संचालित करने हेतु मंडी परिषद के कार्यक्रमों से अवगत कराते हुए उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति 2019 पर विस्तृत चर्चा की गयी। कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए श्री पी0एस0ओझा द्वारा कृषि जलवायु अंचलों के अनुरूप, कृषकों की आवश्यकता आधारित व बाजार की मांग के अनुसार अपनी व्यवसायिक योजनाओं को तैयार कर इसे अमल में लाये जाने का सुझाव दिया गया। कार्यक्रम में उपस्थित डा0 पंकज त्रिपाठी, संयुक्त कृषि निदेशक (दलहन) द्वारा बताया गया कि कृषक उत्पादक संगठनों को व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन हेतु पांच लाख तक के बैंक ऋण पर चार प्रतिशत का ब्याज अनुदान विभाग द्वारा प्रदान किया जायेगा। इस हेतु शीघ्र ही पोर्टल पर व्यवस्था की जा रही है। कृषि विभाग उत्तर प्रदेश की टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (बिल एंड मिलिंडा गेट्स फॉउंडेशन समर्थित) के प्रतिनिधि तरूण परिहार द्वारा यू0पी0एफ0पी0ओ0 शक्ति पोर्टल से होने वाले सम्भावित लाभों के बारे में विस्तार से बताया। साथ-साथ उन्होंने पोर्टल पर कृषक उत्पादक संगठनों को अपनी सूचनायें यथा उत्पाद, निवेशों की मांग एवं कम्पनी के लाभार्थियों से सम्बन्धित विवरण अवश्य साझा करने का सुझाव दिया। जिससे उनकी रैकिंग निरन्तर प्रदर्शित होती रहे। टीएसयू ने सभी लाभार्थियों द्वारा सफल ऑनबोर्डिंग और उपयोग सुनिश्चित करने के लिए पोर्टल पर अपनी जानकारी अपलोड करने में एफपीओ को प्रशिक्षित करने की योजना का भी उल्लेख किया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अपर मुख्य सचिव (कृषि) डा0 देवेश चतुर्वेदी द्वारा विभिन्न विभागों के अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे अपनी योजनाओं व कार्यक्रमों जिनसे कृषक उत्पादक संगठनों से जोड़ा अथवा लाभान्वित किया जा सकता है, विषयक दिशानिर्देश जनपद के अधिकारियों को अवश्य प्रेषित करें। उन्होंने कृषक उत्पादक संगठनों से अपेक्षा की कि वह अपना डेटा पोर्टल पर उपलबध करा दें जिससे कि आगामी माह में कराये जाने वाले मण्डल स्तरीय कार्यक्रम में वो प्रशिक्षित हो सके। कार्यक्रम में विभिन्न जनपदों के कृषक उत्पादक संगठनों द्वारा इंगित किये गये बिन्दुओं/सुझावों को संकलित कर उन पर कार्यवाही/समाधान किये जाने के निर्देश अपर मुख्य सचिव, कृषि द्वारा दिया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सिद्धार्थ फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में अपर मुख्य सचिव (कृषि) डा0 देवेश चतुर्वेदी द्वारा बताया गया कि आगामी माह में पुनः प्रशिक्षण सत्र आयोजित होगा।