देश मे अभाव को स्वभाव बनाकर काम करने वालो को कमी नही है,ऐसे ही झारखंड में एक महिला अपने पीठ पर बच्चे को लादे रोज कोविड टीका करन अभियान में दुरूह यात्रा करती है.
जिले के महुआडांड़ में एएनएम के रूप में कार्यरत मानती कुमार इनदिनों सुर्खियों में है. दरअसल इस बारिश में जब सारी नदियां उफान पर हैं, फिर भी मानती बच्चों के टीकाकरण अभियान को बंद होने नहीं दिया है, वह रोज नदी पार कर अतिदुर्गम क्षेत्रों में जाती है और बच्चों को टीका लगाती है. इस दौरान उसके पीठ पर उसकी डेढ़ साल की बच्ची और कंधे पर वैक्सीन से भरा कंटेनर होता है. इतना वजन ढोकर मानती नदी पार करती है और बच्चों को टीका लगाती है.न्यूज-18 से बातचीत में मानती ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से उसका पति अभी उसके साथ नहीं रह रहा है. इस कारण छोटी बच्ची को उसे साथ ले जाना पड़ता है. मानती आगे कहती है आखिर काम काम होता है, चाहे बीच में नदी आए या पहाड़ सबकुछ पार करना पड़ता है. बच्चों के टीकाकरण के लिए उसे गांव- गांव जाना पड़ता है. इस दौरान उसे कई नदियों को पार करना पड़ता है.
मानती बूढ़ा नदी पारकर अतिदुर्गम इलाके में जाकर निगेसिया, कोरवा जैसी जनजातियों के बच्चों को टीका लगाती है. वह लातेहार के चंदवा की रहने वाली है. लेकिन फिलहाल महुआडांड़ में एएनएम के तौर पर कार्यरत है. मानसी को घर के कामकाज के अलावा टीकाकरण अभियान के लिए काम करना पड़ता है.
मानती कहती है कि उनके काम में उसे पति का पूरा सहयोग मिलता है. इसी से उसे तमाम बाधाओं को पार कर काम करने की शक्ति मिलती है. उसे रोज नदी को पार कर टीका लगाने जाने पड़ता है. क्योंकि दूर दराज के इलाकों में सड़कों का अभाव है और कई नदियों में पुल तक नहीं हैं.