मोदी से किनको किनको खतरा है,न्यूयार्क टाइम्स की एक रिपोर्ट..साभार ,राजीव बाजपेयी

 पूरे भारत को विश्व गुरु बनाने की ओर अग्रसर मोदी के खिलाफ विदेशों में क्या साजिशें चल रही है देखें।


 मोदी कौन है ??

 ("न्यू यार्क टाइम्स" के "मुख्य सम्पादक"- "जोसफ होप" की "टिप्पणी"

"इस आदमी" का- "उत्थान", सारे "संसार" के लिए, "खतरा" है..!क्योंकि:- इसने -"भारत" में न केवल "अपना स्वार्थ" चाहने वाले- "समुदायों" को -"एक-दूसरे" के "विरुद्ध" खड़ा कर दिया है...?, बल्कि - उनका "उपयोग" भी, करता है।


इसने - केवल "भारत" को -"एक महान् देश" बनाने की "इच्छा" को प्रकट किया है।


 उसका -"एकमात्र उद्देश्य":-  "भारत को सबसे शक्तिशाली" बनाना है...।" यदि "इस आदमी" को, न "रोका" गया...?, तो- "भविष्य" में, "एक दिन"... "भारत", संसार में "बहुत शक्तिशाली" हो जाएगा....? और इससे -"अमेरिका" को "आश्चर्य" होगा।


"वह" एक "विशेष रणनीति" की अनुसार चलता है ....,और कोई नहीं "जानता"...?  कि:-  आगे "वह" "क्या करने" वाला है..? उसके "मुस्कराते" हुए "चेहरे" के पीछे एक "खतरनाक देशभक्त" "छिपा" हुआ है...। "वह".." दुनिया" के सभी "देशों" का उपयोग "भारत के हितों" के लिए ,करता है।


"पाकिस्तान और अफगानिस्तान" के साथ -"अमेरिका" के "सम्बंधों" को, "बिगाड़कर"...., और उसके "दुश्मन देशों"- जैसे -"वियतनाम" के साथ "गठजोड़" करके, "मोदी" इन -"तीनों देशों" का "उपयोग"..., "चीन के खिलाफ" करना चाहता है।


"वियतनाम" ने "चीन" के दक्षिण के "समुद्र में तेल" निकालना शुरू कर दिया है..., जिसको "वह" पूरा "भारत" को भेजता है। उसने -"भारतीय कम्पनी रिलायंस" को वहाँ काम करने के लिए भेज दिया है..., ताकि - "अमेरिका" का "दबदबा" "खत्म" हो जाये।


अब -"चीन के दुश्मन वियतनाम" पर -"अमेरिका" का "नियंत्रण" होना है.., जो कि, "भारत के लिए" अच्छा है। भारत में 'आओ' (लांच इंडिया) "अभियान" में -"चीन और अमेरिका" दोनों देशों का 15 अरब "डालर" लगा हुआ है..., जो कि -"भारत आठ साल" में भी, "नहीं ला सकता था"।


अब -"यह आदमी", "पाकिस्तान" को "गरीबी" की ओर "धकेल" रहा है। "पाकिस्तान" के "पुराने दोस्त ईरान" में "पोर्ट" बनाना..., जो "अफगानिस्तान" की सीमा के निकट है..., और "अफगानिस्तान सीमा" पर ...,"भारतीय सेना" का "अड्डा" बनाना...,- इन "कदमों" से ,"उसने"- "ईरान" को वह "रास्ता" दिखाया है ...,कि:-  "वह", "पाकिस्तान" को, "अफगानिस्तान" में "उलझा हुआ"...., "छोड़कर"..., सीधे "भारत से व्यापार" कर सकता है.


"पाकिस्तान" ने -"सेक्शन 2" और "3ए", "रद्द" कर दिये थे। अब "पाक अधिकृत कश्मीर" भी, "भारत के कब्जे" में आ जाएगा...। "पाकिस्तान" चार "टुकड़ों" में "टूटेगा"..। "वह" - "मोदी" की "उँगलियों" पर "नाचेगा"...। "पाकिस्तान" का "परम्परागत साथी सऊदी अरब" भी, "पाकिस्तान" को ,"अलग-थलग" करने में, अपनी "महत्वपूर्ण भूमिका" निभाएगा।


"इस आदमी" ने -"एशिया" में ,"चीन और अमेरिका" की "भूमिका", "खत्म" कर दी है ...,और .."सार्क सम्मेलन" को, "रद्द कराके"..., "संसार" को, "अपनी शक्ति" दिखा दी है। "मोदी" ने, "एशिया" में "भारत की सर्वोच्चता स्थापित कर दी है"।


"इसने", "एशिया" की -"दो महान शक्तियों रूस और जापान" के -"साथ गठबंधन" किया है। "चीन", "हांग कांग" में अपनी "शक्ति" दिखा सकता है...?, लेकिन -"मोदी", "चीन अधिकृत कश्मीर" को ,"कब्जे" में करने को, "तैयार" है....l  ताकि - "उसकी", "सीपीईसी परियोजना" को, "रोका" जा सके?।


"चीन", "मोदी" के कहने पर, "भारत" में अपना 40% हिस्सा "त्यागने" को तैयार है..., लेकिन, "मोदी"- "किसी की सुनने के मूड में नहीं हैं"l और इसीलिए, "पाकिस्तान" की "हालत", "युद्ध के बिना ही भिखारी जैसी बनाये रखना चाहता है"। इसके -"परिणामस्वरूप", "चीन" का 62 अरब डाॅलर (जो उसने पाकिस्तान में लगाया है) "पानी" में, जा रहा है।


"मोदी" ने -"अमेरिकी सरकार" में -"लाॅबी" बनाकर...., "भारत" को "एमटीसीआर समूह" में "शामिल" कराया है। "मोदी" शीघ्र ही -"परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह" (एनएसजी) को "बदल" डालेगा। "अमेरिका" का -"आगे बढ़ना" कठिन है। इस "आदमी" ने, "भारत की राजनीति" को, "नये स्तर" पर पहुँचा दिया है।


संसार को इस बात पर विचार करना चाहिए कि :- हर देश के अनेक "दुश्मन" देश होते हैं, पर -"भारत" का अब "पाकिस्तान" के अलावा "कोई दुश्मन" नहीं है। इसलिए अब यह निश्चित है कि :-"पाकिस्तान" की "समस्याओं" का "समाधान", "भारत" के "हाथ" में है।


"यह व्यक्ति", "सर्जिकल स्ट्राइक" करके ही, अपनी "पकड़" बना सकता है। "यह आदमी" "पाकिस्तान" को -"किसी युद्ध" से भी, "अधिक हानि" पहुँचा रहा है। "मुस्लिम देशों" को "पाकिस्तान" के "विरुद्ध'. , "उपयोग" करके..., "मोदी ने स्वयं" को, "संसार के महानतम नेताओं में से एक सिद्ध कर दिया है".


इन -"सारी बातों" के बीच, "इस व्यक्ति" की -"सत्यनिष्ठा" पर "ध्यान" देना चाहिए। शेष "संसार" के लिए -"भारत की प्रगति कठिन सिद्ध होगी"। इसीलिए... "मैं" इसके "पक्ष" में हूँ ...,कि :- "संसार" के -"सभी विचारक" मिलकर..., इस पर ,"चर्चा" करें...., और "कोई उपाय" सोचें..।


यदि -"सम्भव" हो, तो:- "भारत जैसे पिछड़े देश" को, "संसार का दरोगा" बनने से ...,"रोका" जाना चाहिए..। अन्यथा -"संयुक्त राष्ट्र संघ", "बेमानी" हो जाएगा


(मूल -"अंग्रेज़ी से अनुवाद"- जगतार सिंह बाघा )

साभार पोस्ट....

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