पूरी मेडिकल व्यवस्था चरम रूप से चरमरा गई है।मेडिकल कालेज श्मशान का प्रयाय बनचुका है।किसी का कोई नियन्त्र नही।प्रिंसिपल, डॉक्टर,प्रशासन और कथित सामाजिक कार्यकर्ता फोटोसेशन में ब्यस्त है।मरीज ,परिजन ओर व्यवस्था में लगे चिकित्सको के परिवार व उनके मनोभाव को समझने वाला कोई नही।एन जी ओ,नेता जनप्रतिनिधि किसी की शिकायत अव नाजायज है।पूरा सिस्टम रुका है।मरीज़ो के केली में भर्ती होने और वहाँ से मरघट की ओर जाने वालों का औसत बराबर है।अभी एक जलजला बाकी है चुनाव लड़े हारे जीते प्रत्याशियों के परिजन भी बेतहासा केली की ओर भाग रहे है और केली परेशान हो अपने व्यवस्थागत प्रश्न चिन्हो से घिरता जा रहा है।,एम्बुलेंेंस मरघट तक लेजाने का मुह मागा मांग रहे है 5 हजार से 8 हजार।
जीतनी भी हेल्पलाइन है सब धराशाई है,मरने वाले परिवारीजनों की मानसिक व्यथा कथा कौन समझे?मुख्य मार्ग पर आधा घण्टा नही बीत रहा कि एम्बुलेंस का सायरन बज जा रहा है कौन जाने किसका बुलावा आया हो।सब बेजान हतप्रभ हो केवल परमात्मा से कातर निवेदन ही कर सकते है।मरीजो के तीमारदारों की हालत जीवंत मुर्दे जैसी हो गयीं है ।सब बदहवास, संज्ञा शून्य हो कहा भागे,कहा जाए किससे कहे सब शून्य जैसे आकाश।कुछ लोड अपने सीमित साधनों से असीमित करने को चटपटारहे है।कही कोई दवाक़े लिए,कही आक्सीजन सिलिंडरों के लिए कही डॉक्टरों के लिए कही परिजनो को अस्पताल में भर्ती करने को परेशान है।रोज दोचार फोन आते हैं पर किससे कहें?
यह महामारी इतनी डरावनी कोगयीं है कि चन्दकानता जैसे अन्य जासूसी कहानियां न डरावनी फिल्में फीकी पड़ गयी है ऐसा कोई नही जिसने अपने परिजनों को न खोया हो। सब व्यवस्तथा भगवान भरोसे है।ईश्वर करे यह डरावना कोरोना जल्द समाप्त हो ।ऐसा लगरहा है जेसे कोई जैविक आक्रमण हो।ऐसा कोई गली मोहल्ला,गाँव नही जहाँ से कोरोना से आक्रांत जनो की आर्त्त आवाज न सुनाई पड़ रही हो।पूर्वज प्लेग ओर हैजा का जिक्र करते थे तब सुनने पर भयावहता का भान नही था।आज? आज लगरहा है सबकुछ ठहर सा गया है.
हे परमेश्वर ! भारत को इस भयानक जैविक त्राशदी से उबारो,आपने रक्तवीज जैसे जैविक हथियार को समाप्त किया है इस कोरोना आपदा से बचाइये।
आपने ही तो कहा था"तदात्मानम सृजाम्यहम"