बस्ती,
गाय के गोबर से घर का लेपन किया जा सकता है, घर का सुंदरीकरण किया जा सकता है उसके औषधीय गुणों को ग्रहण किया जा सकता है तो अगर किसी ने गाय के गोबर को लेकर शरीर को स्वस्थ और स्वच्छ करने का प्रयास किया इसमें हंसी की किस किस बात की .
वास्तव में गाय हमारी माता है देश और धर्म का नाता है ,यह स्वाभाविक रूप से गाय के साथ जुड़ा हुआ है .उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमान अखिलेश यादव जिनकी उत्तपत्ति का कारण ही गाय के गोबर से हुई है ..आज तकनीकी रूप से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के कारण गाय के गोबर की ग्राह्यता को अस्वीकार करते हैं और उन्होंने एक ट्वीट करते हुए गुजरात के कुछ लोगों का चित्र प्रसारित किया है ,जिसमें लोग गाय के गोबर से अपने शरीर को लेपन कर शुद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं .
उनको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि गाय के गोबर से उनके पिताजी ने भी कई बार स्नान किया होगा . हां जरूर है कि ऑस्ट्रेलिया जाने के बाद अभिजात्य वर्गीय
हो गए होंगे .श्री अखिलेश यादव गाय के गोबर को लेकर के हंसी उड़ाना खिल्ली उड़ाना खुद वे हसीं के पात्र हैं. इस तरह का काम करने से पहले उन्हें सोचना चाहिए कि गाय के गोबर के कर्ता-धर्ता थे . भगवान श्रीकृष्ण की उसी परंपरा से अखिलेश यादव भी आते हैं और अगर गाय के गोबर के अस्तित्व को उसके अस्वीकार स्वीकार किया जाता है बहुत चिंता का विषय है .कुछ लोगों ने गोमूत्र और गोबर लगाकर के शरीर को शुद्ध करने का प्रयास किया. वास्तव में वैज्ञानिकों द्वारा सिद्ध किया जा चुका .आपको तो पता ही होगा गाय का गोबर और मूत्र अनेक दवाओं,सौन्दर्य साधनों आदि में भी बड़ी मात्रा में प्रयोग होरहा है!
अखिलेश ने गुजरात के कुछ लोगों का चित्र ट्वीट किया है "इनपर हँसे या रोये"वोट के खातिर आप गाय के अस्तिव को नकार सकते है पर आपके घर के अंदर भी पूजा स्थलों पर वही गोबर पूजनीय होय है।पूजनीय इतना कि गोबर से गौरी और गणेश भी अस्तित्व पाते है।इसलिए अखिलेश जी "गावो विश्वस्य मातर:कहा गया है.
है कि देसी गाय का गोबर और गोमूत्र सब प्रकार से स्वास्थ्य कर है.स्वामी रामदेव तो अभियान ही चला रहे हैं गोमूत्र के लिए ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री का ट्वीट इस बात का संकेत देता है कि उन्होंने विरासत में मिली परंपरा को न तो समझा है और न समझना चाहते हैं .खिल्ली उड़ाने से अखिलेश यादव को बचना चाहिए उन्होंने रोये या हँसे शीर्षक से ट्वीट किया है जो की समझ व स्तर पर भी प्रश्नचिन्ह लगाते हैं .देश की संस्कृति और सम्मान के बारे में क्या सोच सकते हैं .अखिलेश जी आप अभी अभिजात्य हैं और आप को गाय और गोमूत्र, सूर्य नमस्कार का महत्व नहीं समझ में आएगा.