बस्ती
पिछले वर्ष भी वायरस का रूप विकराल था इतना ही भयावह, लेकिन प्रधानमंत्री जी के लॉकडाउन के निर्णय ने उतना विकराल होने नहीं दिया ,
लेकिन लोगों ने भरोसा नहीं किया, पैदल निकल पड़े , थू थू करने लगे, विपक्ष ने भी लॉकडाउन को बचकाना निर्णय बताया ,
इस बार निर्णय राज्य सरकारों के हाथों में दे दिया कि मर्जी हो लॉक करो न हो मत करो ,
अदना सा आदमी भी अर्थव्यवस्था का रोना रो रहा था ,
इस बार नहीं लॉक किया गया जोड़ लो रुपया , जोड़ लो अर्थव्यवस्था और कर लो अपनी व्यवस्था ....
ब्रिटेन 97 दिन लॉक रहा पूर्णतया लॉकडाउन तब हालात सुधरे हैं ...
अब या तो जान बचा लो या जहान बचा लो ....
गरियाते रहो नेताओं अधिकारियों को ,
निकालते रहो भड़ास लम्बी लम्बी पोस्ट लिख कर ,
उड़ाते रहो मजाक उस महापुरुष का जिसने महामारी को बड़ी ही आसानी से हेंडिल किया था ,
वैक्सीन की कीमत न जानी आपने , वैज्ञानिकों की मेहनत का सम्मान न कर सके ,
भाजपा की वैक्सीन तक नाम दे डाला , अब ???
15 दिन का सम्पूर्ण लॉकडाउन ही इन भयानक तस्वीरों को बदल सकता है , वरना....
और हां मोदी को कोसने के लिए जीवित रहना आवश्यक है ,इसलिए कृपया अपना ख्याल रखिये ।।
रतन जायसवाल