कोरोना से मृत मरीजो के एम्बुलेंस किराया सरकार स्वयं वहन करे.

 बस्ती,

कोरोना मरीजो  को लाने लेजाने की व्यवस्था वाले एम्बुलेंस सेवा फ्री किया जाय।एम्बुलेंस का भुगतान अस्पताल प्रशासन करे. इसकी देख रेख ,का कार्य जिला धिकारी द्वारा नामित अधिकारी करे।इससे पारदर्शिता आएगी और सरकार की किकिरी भी कम होगी.आज जिस प्रकार कोरोना को लेकर राजनीति ही है उसमें वाहन व्यवस्था,एम्बुलेंस शोषण पर आपका आर टी ओ अंकुश लगा सकता है।

जनप्रतिनिधि गहरी नींद में फोटो शेसन के अतिरिक्त कुछ नही कर पा रहे।जिला प्रशासन चाहे हो एम्बुलेंस समस्या पर सरकार की किरकिरी रोक सकता है.मनमाने किराया वसूल

पर बहुत हद तक विराम लग सकता है.

हा इस हेतु इच्छाशक्ति चाहिए।मेडिकल कॉलेज प्रशासन जनता,जनप्रतिनिधि, विपक्ष और जिला प्रशासन को गुमराह कर अपना समय काट रहा है।निरंकुश ओर असभ्य प्रधानाचार्य जनताका कृत्य आग में घी डाल रहा है।मै नही वो वो नही कलक्टर इसीमे सुबह से शाम औऱ शाम से रात्रि होरही है.जनाक्रोश बढ़ाने में मेडिकल कॉलेज की अहम भमिका है।बार बार अपने ट्रांसफर केI धमकी देकर नेताओ को निरुत्तर करना प्रधानाचार्य की नीति और नियति दोनो है।मेने रिसीवर बैठाने की बात का सुझाव दिया था पर कौंन सुनता है।आपात काल  जिला प्रशासन व आयुक्त को अपार शक्तिशाली बना देता है।प्रशासन कुछ नही करसकता पर इतना तो करही सकता है किसी योग्य प्राध्यापक को चार्ज दिला दे, जनप्रतिनिधियों के मुख्यमंत्री को लिखने और क्रियान्वयन तक बहुत भाप बहकर उड़ जाएगा.

विश्वास किया जाता है केली प्रशासन पर अति उदार वादी रवैया छूटेगा,और जनाक्रोश को कुछ हदतक विराम में मदद मिलेगी.जो अपने पपरिजनों को खो रहे है उनपर हमारी पूरी सहानुभूति होनी चाहिए.

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