बस्ती
एक नर्स ने आप बीती बताते हुए कहा कि उसके पास कोरोना टीके लगाने का काम है ,पर पिछले 15 दिनों से सुबह 9:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक और कभी-कभी इस से अधिक समय तक लगातार टीके लगाकर उसकी हालत अब इतनी खराब हो चुकी है कि उन्होंने इस वर्ष के सारे छुट्टियां एक साथ ले ली है .
उनका कहना है कि 15 दिनों पहले तक ऐसी स्थिति नहीं थी लोगों में टीके को लेकर कोई खास उत्साह नहीं था अब तो पढ़े लिखे लोग भी सेंटर में आकर ही रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं, जबकि यह काम घर बैठे भी कर सकते थे और यहां बस टीका ही का लगवाना होता है .
सेंटर पर भी भीड़ लग रही है ,उससे काफी कमी आ सकती थी उनकी एक शिकायत है कि जो लोग आ रहे हैं वह फूल बाह की शर्ट पहन कर आते हैं .आदमी तो चलिए शर्ट खोलकर कंधा निकाल देता है, लेकिन महिलाओं के साथ बड़ी समस्या है. फुल आस्तीन के कुर्ते के ऊपर चढ़ाने पड़ते हैं कई बार जब असंभव हो जाता है तब उन्हें किसी बंद कमरे में लगाना होता है .ऐसे हर एक आदमी के कारण 3 गुना और हर औरत के कारण 10 गुना समय बचाया है सकता था. इतनी सी बात भी लोग नहीं समझते और सहज कपड़े पहन कर टीका लगवाने नहीं आते.
नर्स की ऊक्त बात तो साधारण है पर उसका सुझाव वाजिब है.हर टीका लगवाने की अपेक्षा करने वाले स्त्री पुरुष को इस समय केवल अपनी ही सुविधा का ख्याल नही न रख औरो की भी सोचनी चाहिए.