उन्नाव
मानवता त्राहि-त्राहि कर रही है और कोविड-19 का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है ,यद्यपि सरकारी आंकड़ों के हिसाब से बहुत कुछ परिवर्तन हो रहा है और स्थिति निरंतर कंट्रोल में होती जा रही है , केंद्र और प्रदेश की सरकारें 24 घंटे अपने संसाधनों से असीमित लोगों की जानें बचा रही हैं ,जनता की सेवा कर रही हैं ,हॉस्पिटल्स के कंट्रोल रूम में निरंतर कोविड-19 के मरीजों की संख्या धीरे-धीरे गिर रही है, ऐसी स्थिति में जिन्होंने अपने परिजन खोया है उन लोगो में अवसाद जन्य परिस्थितियों के कारण, समूह में लाशें ले जाकर के गंगा में आसपास छोड़ना या दफ़नाना बड़ी हृदय विदारक और मानवता पर कलंक घटना है .
आखिर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन करता क्या है ? आखिर लोग शवों को देखकर या दफना कर भाग क्यो जा रहे हैं .इसी तरह का एक ज्वलंत उदाहरण प्रदेश के उन्नाव जिले में गंगा के किनारे अनेक शव को दफनाए हुए मिले है . जिला प्रशासन की टीम ने गंगा नदी के किनारे रेत में दफनाए शवो को बरामद कर लिया है ,वहां के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार का कहना है कि अन्य क्षेत्रों में भी शवो की खोज की जा रही है ,टीम गठित करके जांच के लिए आदेश दे दिया गया है ,प्रतिफल आने पर कार्यवाही की जाएगी .
अब सवाल ये उठता है कि इतनी बड़ी घटना कैसे हो जा रही है कभी गाजीपुर में, कभी बलिया में कभी, बक्सर में कभी, उन्नाव में ,कभी इलाहाबाद में आखिर क्या है ?यातो प्रशासन सो रहा है ,जनताजाग रही है या नैतिकता पूरी तरह से मर रही है .आखिर प्रशासन इस तरह के लोगों को क्यों नहीं जागरूक और सहायता करता कि उनके निरपराध ,कोविड-19 से मरे हुए लोगों के शवो को सम्मान अंतिम संस्कार करना उनके धर्म रीति के अनुसार प्रशासन का दायित्व है .
तमाम ऐसे लोग हैं जो लापरवाही और असहाय होकर के इस तरह के कृत्य को अंजाम दे रहे हैं ,पर जिला प्रशासन ऐसे शव को परिजनों को अभय देने से चूक कर रहा है .यह गंभीर बात है और इस तरह की बातें चिंता में डालती हैं ,पशुओं से भी खराब स्थिति मनुष्य की हो गई है और इस स्थिति से निपटने के लिए कोई तारणहार नहीं आएगा अपने अपने स्तर से इसका प्रयास करना होगा .