चिकित्साल्यों की यमराज की भूमिका अमानवीय कृत्य,अज्ञात शव कहकर अस्पताल अपना पिंड नही छुड़ा सकते,हाइकोर्ट

 बस्ती,प्रयागराज


उत्तर प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था पर एक बार फिर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रश्न खड़ा किया है. कोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में आज भी रामभरोसे शिक्षा चिकित्सा व्यवस्था है . किसी भी प्रकार के वहां उपकरण नहीं संसाधन नहीं ,व्यवस्था नहीं ,यहां तक कि डॉक्टरों की उपस्थिति भी नहीं और जो डॉक्टर नियुक्त हैं वह रात्रि में वहां रहते नहीं .यह सारी व्यवस्था राम भरोसे चल रही है.

 यह बातें उस समय उच्च न्यायालय ने कहा जब कि मेरठ के एक मेडिकल कॉलेज के बाथरूम में संतोष कुमार नामक मरीज के बेहोश होकर गिरने पर मौत हो गई .उनके शव को अज्ञात,लावारिश  दिखाकर  निस्तारित कर दिया गया .मामला माननीय न्यायालय के समक्ष पहुंचा था उन्होंने संज्ञान लेते हुए कहा कि स्थिति अत्यंत घातक है और किसी भी नागरिक के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं की जानी चाहिए और कम से कम मेडिकल कॉलेज में अगर कोई किसी भी प्रकार से मरता है तो उसका समुचित निस्तारण होना चाहिए और उसको या कहने से कि यह लावारिस लाश है इस से काम नहीं चलेगा .

यह पूरी व्यवस्था पर प्रश्न खड़ा करता है आए दिन जिला चिकित्सालय, मेडिकल कॉलेज ,पीएचसी ,सीएचसी हर जगह पर अभिभावक अपने मरीजों को ले जा कर के परेशान हो रहे हैं ,प्रताड़ित हो रहे हैं . संबंधित लोग सुनते नहीं . कभी ऑक्सीजन के नाम पर ,कभी दवा के नाम पर ,कभी पुलिस के नाम पर डंडा बरसा करके वहां से परिजनों को भगाकर अमानवीय कृत्य कर रहे हैं .

उदाहरण एक नहीं हर जिले में इसके उदाहरण मिल जाएंगे व्यवस्था से जुड़े हुए लोगों को अगर आईना हो तो देखना चाहिए मानवता को एक तो कोरोना नाश कर रहा है दूसरे उनका आचरण भी यमराज की भूमिका में है इस पर विराम लगना चाहिए.

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