बस्ती/गोरखपर
आलोक. प्रतीकात्मक चित्र
यह बात सुनने में तो हंसी आती है पर मामला बहुत गंभीर है, आज के 20 वर्ष पहले बस्ती जिले के तत्कालीन कलेक्टर जब गोरखपुर मंडल में बस्ती था, श्री चंद्र सिंह से तत्कालीन कमिश्नर ने जनपद की एक समस्या को लेकर के पूछा था की सभी कलेक्टर अपने जिले की एक समस्या बनाएं , तब और लोगों ने क्या कहा यह तो नहीं मालूम लेकिन श्रीमान चंद्र सिंह ने यह कहा था हमारे जिले की सबसे बड़ी समस्या बंदर है ,उनसे कलेक्ट्रेट तक सुरक्षित नहीं है, अंदर घुस करके शीशा तोड़कर के ,खिड़की तोड़कर ,दीवाले लाँघ कर के भाग आए थे, वह फाइल में फाड़ देते हैं .
नासमझी में उपस्थित सारे लोगों ने ठहाका लगाया पर बात एकदम गंभीर थी वही बंदर आज फिर बड़ी समस्या होते दिखाई दे रहे हैं ,अनेक बार ऐसे अवसर आए कि जब कलेक्टरों ने बंदरों को जंगल विभाग से पकड़वाने की कोशिश की पर विश्व हिंदू परिषद है और तमाम ऐसे संगठन जिनको हनुमान जी से प्रेम है उन्होंने बंदरों में हनुमान की आकृति देखकर बस्ती तहसील से भी कई बार बहेलिए को
को वापस कर दिया.
.आज वह बात एकदम समीचीन लगती है, जब बस
गोरखपुर जनपद के मुख्यालय पर गत दिनों 30 - 35 बंदरों ने एक लड़की को करीब 3 घंटे तक कमरे में बंधक बना लिया. लड़की की अनजाने में गलती थी कि बंदर के पैर पर लकड़ी का लड़की का पैर नीचे आ गया था जिसके बाद बंदरों ने उसे घेर लिया .
पुलिस के अनुसार बच्ची ने भागकर जान तो बचाया लेकिन लंबी चौड़ी फोर्स आने के बाद 3 घंटे बाद बंदरों से उस लड़की को निजात मिला .यह घटना आए दिन हर जिले में हो रही है पर जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है आज भी न्याय मार्ग बस्ती में प्रातः काल 7:00 बजे पेड़ की शाखा पर लड़ते हुए दो बंदर नीचे गिर गए नीचे गिरते ही एक बंदर उसी समय आ गए ओर मोटरसाइकिल चालक के मोटरसाइकिल से निकलकर भागना चाहा वह तो भाग गया लेकिन असहज होकर मोटरसाइकिल गिरी और एक महिला का सर फट गया और इस तरह की घटनाएं आए दिन हो रही हैं और बंदरों को धर्म का प्रतीक मानकर कितनी न्याय प्रियता हासिल की जाएगी इस लेख के माध्यम से मेरा आग्रह है उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन बंदरों के आतंक से उनकी प्रताड़ना से उनके द्वारा अनावश्यक किए जा रहे नुकसान से जनता जनार्दन को मुक्ति दिलाये.