बंगलुरू
कार्यकर्ता किसी भी संगठन के विस्तार करने में मुख्य भूमिका निभाता है। अपनी ध्येय दृष्टि को लेकर त्याग और समर्पण का सम्बल लेकर सम्पूर्ण समाज के लिए प्रेरक बनकर कार्य करता है। वैचारिक अधिष्ठान की दृढ़ता के कारण किसी भी कार्य के विस्तार हेतु चिन्तन, चर्चा, निर्णय, योजना, परिश्रम पूर्वक कार्य को पूर्ण करना, यही हमारी सफलता का मूल मंत्र है। सामूहिक शक्ति द्वारा संगठन को बल मिलता है और व्यक्ति निर्माण की दिशा में छोटे-छोटे कार्यक्रमों के माध्यम से संघ संस्कार देता है। जिससे वह कार्य के विस्तार हेतु निज जीवन को अपने कर्तृत्व, व्यक्तित्व, समझदारी और भक्ति द्वारा स्वयं का विकास करते हुए जो कार्यकर्ता निःस्वार्थ बुद्धि, धैर्य, परिश्रम, साहस, त्याग, तपस्या, ध्येयनिष्ठा से निर्माण की दिशा में बढ़ता है, वही श्रेष्ठ कार्यकर्ता बनता है।
साथ ही साथ अहंकार से मुक्त होकर जो कार्यकर्ता कार्य करता है, वही सात्विक कार्यकर्ता के रूप में संगठन कार्य का विस्तार करता है। संघ यानि शाखा, शाखा यानि कार्यक्रम, कार्यक्रम यानि संस्कार, संस्कार यानि कार्यकर्ता, कार्यकर्ता यानि कार्य का विस्तार करने वाला। इस पद्धति से संघ विगत 95 वर्षों से संगठन के कार्य का विस्तार कर रहा है, अपना उद्देश्य भी यही है। इस कार्य पद्धति के माध्यम से राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाना और सम्पूर्ण विश्व में भारत माता की जय-जयकार हो, इसी स्वप्न को साकार करने के लिए संघ निरन्तर कार्य कर रहा है। व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्र का निर्माण होगा :-
मोहन भागवत जी ने अपनी नई टीम की कल घोषणा करदी है।राम माधव को पुनः संघ की मुख्यधारा में वापस लिया.