आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी की पुण्यतिथि के अवसर पर नेशनल एसोसिएशन ऑफ के तत्वावधान में सिविल लाइन स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।
एसोसिएशन के अध्यक्ष भावेष पान्डेय ने कहा कि आचार्य रामचंद्र शुक्ल जीवन पर्यंत हिंदी साहित्य को विकास की ओर अग्रसर करते रहे। उन्होंने आचार्य शुल्क को नमन करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। वैभव पान्डेय ने कहा कि आचार्य रामचंद्र शुक्ल राष्ट्र के प्रति समर्पित थे। अंग्रेज कलेक्टर ने कई बार नायब तहसीलदार का पद देने की पेशकश की थी जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। सुरेंद्र चौधरी ने कहा कि आचार्य राम चंद्र शुक्ल ने अपने रचनाओं के माध्यम से समाज को एक दिशा देने का काम किया था। राम प्रताप सिंह ने कहा कि आचार्य शुक्ल का पठन-पाठन मिर्जापुर में ही हुआ था। इस मौके पर रितिकेश सहाय, कुलदीप सिंह, काजी फरजान, सुनील यादव, पुष्पलता पान्डेय, आलोक शुक्ला, सुधांशु पान्डेय, दिव्या पान्डेय, अरविंद त्रिपाठी, प्रभा त्रिपाठी, मीनाक्षी पान्डेय, विशाल पटेल, शास्वत श्रीवास्तव, सतीश मौजूद थे.