बस्ती
शुक्रवार को ब्राम्हण महापंचायत का आयोजन प्रेस क्लब सभागार में शेष नारायण त्रिपाठी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। महापंचायत में ब्राम्हणों के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक स्थिति, एस.सी.एस.टी. एक्ट, आरक्षण, छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति आदि मुद्दों पर विन्दुवार विचार किया गया। निर्णय लिया गया कि ब्राम्हण समाज को एकजुट करने के लिये उत्तर प्रदेश के सभी ग्राम पंचायत स्तर पर महापंचायत आयोजित किये जायेंगे।
मेधा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दीन दयाल त्रिपाठी ने महापंचायत में छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति, एकल पद आरक्षण आदि के मुद्दों को उठाते हुये कहा कि देश में आरक्षण 10 वर्ष के लिये लागू हुआ था किन्तु जो आरक्षण था वो सामाजिक संरक्षण न होकर वोट हासिल करने का राजनीतिक यंत्र बन गया। कहा कि एकल पद आरक्षण मौलिक अधिकारों का हनन है। कहा कि सोये हुये समाज को जगाने की जरूरत है। राजनीतिक चेतना के स्तर पर ही बदलाव संभव है।
ब्राम्हण महापंचायत के प्रदेश संयोजक सर्वेश दीक्षित ने कहा कि कानून के दायरे में अभिव्यक्ति प्रत्येक देशवासी का मौलिक अधिकार है किन्तु इसे षड़यंत्रपूर्वक कुंचला जा रहा है। यही नहीं ब्राम्हणों हितों की आवाज उठाने वाले सत्ता के दमन का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में ब्राम्हण समाज को अपने राजनीतिक शक्ति का विस्तार करना होगा। आयोजक अंकेश पाण्डेय ने कहा कि महापंचायतों का यह सिलसिला अब थमने वाला नहीं है। इसे चरणबद्ध ढंग से जारी रखा जायेगा।
कार्यक्रम को मुख्य रूप से सुनील पाण्डेय, प्रमोद पाण्डेय, तुलसी तिवारी ‘कबीर’ वृजेश मिश्र, पं. सदानन्द शर्मा, जय प्रकाश मिश्र, राजन तिवारी, आकाश पाण्डेय, मनमोहन तिवारी, अपूर्व शुक्ल, अभयदेव शुक्ल आदि ने सम्बोधित करते हुये जमीनी स्तर पर प्रभावी मुद्दे उठाये। उमेश पाण्डेय ‘मुन्ना’ राजेश मिश्र, हरिओम तिवारी, कमलेश दूबे, राहुल तिवारी, अतुल पाण्डेय, प्रवेश शुक्ल, के साथ ही बस्ती मण्डल के विभिन्न क्षेत्रों से ब्राम्हण समाज के प्रतिनिधि शामिल रहे।
मेधा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दीन दयाल त्रिपाठी ने महापंचायत में छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति, एकल पद आरक्षण आदि के मुद्दों को उठाते हुये कहा कि देश में आरक्षण 10 वर्ष के लिये लागू हुआ था किन्तु जो आरक्षण था वो सामाजिक संरक्षण न होकर वोट हासिल करने का राजनीतिक यंत्र बन गया। कहा कि एकल पद आरक्षण मौलिक अधिकारों का हनन है। कहा कि सोये हुये समाज को जगाने की जरूरत है। राजनीतिक चेतना के स्तर पर ही बदलाव संभव है।
ब्राम्हण महापंचायत के प्रदेश संयोजक सर्वेश दीक्षित ने कहा कि कानून के दायरे में अभिव्यक्ति प्रत्येक देशवासी का मौलिक अधिकार है किन्तु इसे षड़यंत्रपूर्वक कुंचला जा रहा है। यही नहीं ब्राम्हणों हितों की आवाज उठाने वाले सत्ता के दमन का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में ब्राम्हण समाज को अपने राजनीतिक शक्ति का विस्तार करना होगा। आयोजक अंकेश पाण्डेय ने कहा कि महापंचायतों का यह सिलसिला अब थमने वाला नहीं है। इसे चरणबद्ध ढंग से जारी रखा जायेगा।
कार्यक्रम को मुख्य रूप से सुनील पाण्डेय, प्रमोद पाण्डेय, तुलसी तिवारी ‘कबीर’ वृजेश मिश्र, पं. सदानन्द शर्मा, जय प्रकाश मिश्र, राजन तिवारी, आकाश पाण्डेय, मनमोहन तिवारी, अपूर्व शुक्ल, अभयदेव शुक्ल आदि ने सम्बोधित करते हुये जमीनी स्तर पर प्रभावी मुद्दे उठाये। उमेश पाण्डेय ‘मुन्ना’ राजेश मिश्र, हरिओम तिवारी, कमलेश दूबे, राहुल तिवारी, अतुल पाण्डेय, प्रवेश शुक्ल, के साथ ही बस्ती मण्डल के विभिन्न क्षेत्रों से ब्राम्हण समाज के प्रतिनिधि शामिल रहे।