केदार नाथ दूबे
संत कबीर नगर। इकाई शिक्षक संघ द्वारा सत्र 2020-21 हेतु नई कार्यकारिणी का गठन किया गया । कार्यकारिणी में अध्यक्ष डॉ विजय कृष्ण ओझा (अध्यक्ष संस्कृत विभाग), उपाध्यक्ष डॉ अमित कुमार भारती (अध्यक्ष हिंदी विभाग), मंत्री श्री शशिकांत राव (अस्सिस्टेंट प्रोफेसर राजनीति विज्ञान), संयुक्त मंत्री डॉ संध्या राय (अस्सिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी विभाग) ,कोषाध्यक्ष श्री पुरुषोत्तम पांडे (अस्सिस्टेंट प्रोफेसर अंग्रेजी विभाग) सुआक्टा प्रतिनिधि के लिए श्री मनोज कुमार मिश्र (प्राचीन इतिहास विभाग ) तथा डॉ राजेश गुप्त (अस्सिस्टेंट प्रोफेसर राजनीति विज्ञान) निर्वाचित हुए। बैठक में डॉ रामाश्रय सिंह, डॉ डीएन पांडेय ,डॉ प्रताप विजय , डॉ दिनेश कुमार गुप्ता, डॉ राजेश मिश्र ( जोनल सेक्रेट्री एआईफुक्तो), डॉ गणेश श्रीवास्तव ,विनय सिंह (महामंत्री सुआक्टा) श्रीमती नेहा सिंह डॉ विजय कुमार उपस्थित रहे। सभी सदस्यों ने कार्यकारिणी के नवनियुक्त पदाधिकारियों को शुभकामनाएं प्रेषित की। हीरालाल रामनिवास पीजी कॉलेज खलीलाबाद में नव आगन्तुक शिक्षकों श्री मनोज कुमार मिश्र असिस्टेंट प्रोफेसर प्राचीन इतिहास, डॉ राजेश गुप्त अस्सिस्टेंट प्रोफेसर राजनीति विज्ञान
, श्री पुरुषोत्तम पांडे असिस्टेंट प्रोफेसर अंग्रेजी, डॉ फखरे आलम अस्सिस्टेंट प्रोफेसर शिक्षाशास्त्र का माल्यार्पण कर इकाई शिक्षक संघ द्वारा स्वागत किया गया। इसके उपरांत इकाई शिक्षक संघ मे सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर द्वारा की जा रही अनेक प्रकार की विसंगतियों पर भी चर्चा की गई जिसमें पीजी पाठ्यक्रम समिति में पीजी के शिक्षकों को सदस्य न बनाया जाना, जबकि उन्हीं शिक्षकों को पीजी के आधार पर शोध का अधिकार दिया गया है।
, श्री पुरुषोत्तम पांडे असिस्टेंट प्रोफेसर अंग्रेजी, डॉ फखरे आलम अस्सिस्टेंट प्रोफेसर शिक्षाशास्त्र का माल्यार्पण कर इकाई शिक्षक संघ द्वारा स्वागत किया गया। इसके उपरांत इकाई शिक्षक संघ मे सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर द्वारा की जा रही अनेक प्रकार की विसंगतियों पर भी चर्चा की गई जिसमें पीजी पाठ्यक्रम समिति में पीजी के शिक्षकों को सदस्य न बनाया जाना, जबकि उन्हीं शिक्षकों को पीजी के आधार पर शोध का अधिकार दिया गया है।
पाठ्यक्रम समिति के द्वारा सुझाए गए आंतरिक और बाह्य परीक्षकों को अलग-अलग नियुक्त करने के बजाए आंतरिक परीक्षक को ही बाह्य परीक्षक बना देना, विश्वविद्यालय परीक्षा हेतु बनाए जाने वाले प्रश्न पत्रों का सभी शिक्षकों में समान आवंटन न करना। शोध अध्यादेश को आज तक सार्वजनिक ना करना। स्नातक स्तर के शिक्षकों को भी शोध का अधिकार प्रदान न करना। विश्वविद्यालय द्वारा बार-बार महाविद्यालय पर जिले की परीक्षाओं को थोपना। इसके अलावा इकाई में नए शिक्षकों के नई पेंशन पॉलिसी में आ रही दिक्कतों का भी संज्ञान लिया और उसके निस्तारण का आश्वासन दिया।