भारत विरोधी वैश्विक षड्यंत्र की खुल रही हैं परतें
डा समन्वय नंद
भारतीय संसद द्वारा पारित किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय तक देश के कुछ हिस्सों के किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं । भारत सरकार इन आंदोलनकारी किसान संगठनों के साथ लगातार वार्ता कर रही है तथा यह कह रही है कि इन कानूनों में आवश्यकीय संशोधन करने के लिए तैयार है । भारत सरकार ने डेढ़ साल तक इन कानूनों को स्थगित करने का भी प्रस्ताव इन किसान संगठनों को दिया है । लेकिन किसान संगठन अपनी ही जिद पर अटल है कि इन कानूनों को पूर्ण रूप से रद्द कर दिया जाए । यह किसान संगठन सरकार, सुप्रीम कोर्ट या किसी की बात को सुनने के लिए तैयार नहीं है ।
इस आंदोलन का नेतृत्व खालिस्तानी इस्लामिस्ट नक्सलवादियों के हाथ में होने की बात कही जा रही है । इसके लिए फंडिंग वह योजना बाहर से बन रही है । शायद यही कारण है कि सरकार द्वारा डेढ़ साल तक कानून को स्थगित करने के प्रस्ताव के बावजूद वह इन बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं है । अभी तक इन अराजकतावादी आंदोलन के पीछे कम्युनिस्ट व पाकिस्तान व कनाडा में बैठे खालिस्तानी व इस्लामिस्ट होने का अनुमान लगाया जा रहा था लेकिन गत कुछ दिनों में इसके संबंध में कुछ गंभीर षडयंत्र के खुलासे हुए हैं ।
हाल ही में कुछ तथाकथित विदेशी सेलिब्रिटी भी मामले में कूद पड़े हैं । उन्होंने ट्वीट कर इस आंदोलन को समर्थन दिया है । इसमें से ऐसे सेलिब्रिटी भी हैं जिन्हें भारत के संसद में पारित किए गए कृषि कानून के संबंध में जानकारी होना तो दूर की बात है उन्हें यह तक नहीं पता होगा कि भारत विश्व में के नक्शे पर कहां है । इसके बावजूद भी किसान संगठनों के आंदोलन के समर्थन में ट्वीट कर हुए भारत को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं ।
स्विडेन के तथाकथित पर्यावरणविद ग्रेटा थनवर्ग ने ने इन कृषि कानूनों के खिलाफ व किसान संगठनों के समर्थन में ट्वीट किया है । ग्रेटा के ट्वीट ने भारत किस ढंग से विदेशी वैश्विक षडंयंत्र का शीकार हो रहा है उसका पर्दाफास कर दिया है ।
गत 2 फरवरी को ग्रेटा इस संबंध में ट्वीट करते हुए एक गलती कर दी । उन्होंने ट्वीट करने के साथ साथ गलती से एक टुलकीट भी शेयार कर दी । इस बारे में उन्हें जानकारी मिलने के पश्चात उन्होंने उसे तुरंत डिलीट कर दिया लेकिन यह गलती के कारण अनेक इस साजिश का पर्दाफाश हो गया है । इस टूल किट में भारत के विरुद्ध ढंग से सुनियोजित तरीके से वैश्विक स्तर पर योजना तैयार की गई है इसका खुलासा हुआ है । ग्रेटा द्वारा गलती से शेयर किए गए इस टूल किट से स्पष्ट है कि किसान आंदोलन को लोगों से जो समर्थन मिलने की बात भारतीयों को दिखाने का प्रयास किया जा रहा है वह वास्तव में सत्य नहीं है । यह आंदोलन किसी भी तरह से स्वतःस्पूर्तः नहीं है । नवंबर 2020 से योजना तैयार की गई थी । इस डॉक्यूमेंट से यह भी स्पष्ट हुआ है कि 26 जनवरी के दिन दिल्ली में दंगा उपद्रव हिंसा के जरिए भारत को अस्थिर करने की साजिश की गई थी । ट्वीट करते समय क्या हैसटैग रहेगा इसका उल्लेख इसमें था ।
इस टूल किट में क कौन सी सेलिब्रिटी क्या-क्या ट्वीट करेंगे इसका भी उल्लेख था । भारत के प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य मंत्रालय को टैग कर ट्वीट किया जा सकता है उसका भी उल्लेख डॉक्यूमेंट में था । केवल इतना ही नहीं राष्ट्र संघ, मानवाधिकार संगठन, प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन आदि को टैग कर इसमें हस्तक्षेप करने की मांग करने के लिए इसमें उल्लेख किया गया था।
इससे स्पष्ट है कि भारत को अस्थिर करने, भारत में अराजकता पैदा करने के लिए वैश्विक स्तर पर साजिश हुई है । इस संपूर्ण योजना तैयार कर अनुसार धीरे-धीरे क्या कार्य हो रहा है । किसान आंदोलन अपने आप लोगों व किसानों को द्वारा की जा रही है, ऐसा संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है । लेकिन ग्रेटा
की एक गलती ने सारी साजिश पर पर्दा हटा दिया है ।
इस बैश्विक षडंयंत्र के तहत धीरे धीरे भारत को अस्थिर करने की लंबी योजना पर कार्य हो रहा था । इसके तहत पहले किसानों को कृषि बिल के माध्यम से भ्रमित करने का प्रयास किया । लेकिन इसे सफलता नहीं मिली क्योंकि भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि किसानों के साथ वार्ता के लिए तैयार है । केवल इतना ही नहीं सरकार उनके साथ लगातार बातचीत करती रही और कानून को डेढ़ साल तक स्थगित करने का भी प्रस्ताव दिया ।
इसके बाद किसानों के नाम पर रहे अराजकतावादियों ने गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली निकालने की मांग की । आमतौर पर गणतंत्र दिवस पर इसी प्रकार की रैली को सरकार अनुमति नहीं देती लेकिन भारत सरकार ने इसे भी अनुमति दे दी । इसके बाद जो होना था वह हुआ । विदेश में तैयार किए गए पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार दिल्ली के सड़कों पर उन्होंने हिंसा व अराजकता का नंगा नाच किया । दिल्ली पुलिस उनके खिलाफ बल प्रयोग कर सकती थी लेकिन प्रशासन का असीम धैर्य का परिचय दिया व बल प्रयोग नहीं किया । उनके हमले में दिल्ली पुलिस के कर्मचारी घायल हुए । यदि प्रशासन ने बल प्रयोग किया होता तो इसी बात को लेकर भारत विरोधी शक्तियां और यह अराजकतावादी फिर से चिल्ला चिल्ला कर कहते कि किसानों के साथ अन्याय किया जा रहा है, उनके प्रति हिंसा हो रही है लेकिन पुलिस ने असीम धैर्य का परिचय देते हुए उनके इस साजिश को विफल कर दिया ।
इस विफलता के बाद भारत विरोधी षडयंत्रकारी शक्तियों ने अगली चाल चली । उन्होंने भारत व भारत के कृषि कानूनों के बारे में जानकारी न रखने वाले सेलिब्रिटियों को मैदान में उतार दिया । सब कुछ योजना पूर्वक चल रहा था लेकिन ग्रेटा की गलती ने सारी साजिश का पर्दाफाश कर दिया । अब यह बात भी सामने आ रही है कि यह तथाकथित सेलिब्रिटी ओं को इस मामले में ट्वीट करने के लिए भारी-भरकम धनराशि दी गई है । इसका मीडिया में प्रमाण भी मिलने लगा है ।
अब प्रश्न यह है कि इन तथाकथित एक्टिविस्टोम को इस काम में किसने लगाया है ? इन एक्टिविस्टों ने क्या कभी तिब्बत में कम्युनिस्ट चीन द्वारा किये जा रहे भयंकर मानवाधिकार उल्लंघन के संबंध कभी सवाल किया है ? यदि नहीं तो फिर ये लोग भारत विरोधी दुष्प्रचार में क्यों शामिल हो रहे हैं ?
प्रसिद्ध विद्वान राजीव मल्होत्रा ने उनकी पुस्तक ब्रेकिंग इंडिया में भारत विरोधी शक्तियों के बारे में विस्तार से उल्लेख किया है । उन्होंने भारत को तोडने वाली इन शक्तियों को ब्रेकिंग इंडिया फोर्स का नाम दिया है । ब्रेकिंग इंडिया फोर्सेज लगातार भारत को विखंडित करने, भारत को अस्थिर करने व भारत में अराजकता पैदा करने के लिए कार्य कर रही है । अतः आने वाले दिनों में भी भारत पर इस तरह के हमले जारी रहेंगे। इसलिए भारत के लोगों को इस तरह के वैश्विक षडयंत्रों के बारे में अवगत कराने के साथ-साथ भारत सरकार को भी इस तरह की शक्तियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने का समय आ गया है ।