निषाद पार्टी बीजेपी से अलग जासकती है:-संजय निषाद

 वादाखिलाफी का आरोप लगा कर एक और साथी ने छोड़ा भाजपा का साथ


मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ

 भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने निषाद बिरादरी के आरक्षण को लेकर भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। निषाद ने कहा कि भाजपा ने उनके साथ वादाखिलाफी की है। वर्ष 2019 में उनकी पार्टी ने निषादों के आरक्षण के मसले को लेकर ही भाजपा से हाथ मिलाया था। मगर आरक्षण की मांग पर कुछ भी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निषादों के आरक्षण का मसला हल करने का भरोसा दिलाया था। डेढ़ साल हो गए मगर भाजपा ने वादा पूरा नहीं किया। अब वह खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। निषाद ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश के आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की हर सीट पर उम्मीदवार उतारेगी। उन्होंने भाजपा से मांग की कि वह किसानों के मुद्दों को बातचीत के जरिए जल्द हल करे।






त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक पूरे होने हैं। इसके लिए आरक्षण सूची जारी होने का इंतजार किया जा रहा है। आरक्षण चक्रानुपात फार्मूले से किया जाना है। पंचायत चुनाव के लिए सभी तैयारी पूरी कर ली गई हैं। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायतों के चुनाव करा लिए जाएंगे। इसके लिए फरवरी में ही आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इस बार आरक्षण रोटेशन के हिसाब से ही किया जाएगा। जबकि पिछली सरकार ने वर्ष 2015 में हुए चुनाव में रोटेशन प्रक्रिया को शून्य घोषित कर नए सिरे से आरक्षण जारी किया था। रोटेशन प्रक्रिया से होने वाले आरक्षण से जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और गांव पंचायतों की करीब 70 फीसदी सीटों की मौजूदा स्थिति में बदलाव हो सकता है। अनुसूचित, अनुसूचित महिला श्रेणी की आरक्षित सीट को छोड़ दे तो निषाद कर सीट पर चुनाव लड़ा सकते हैं। यदि निषाद भाजपा से अलग हो गये तो पंचायत चुनाव में भाजपा की राह मुश्किल हो जायेगी। पंचायत चुनाव बिगड़ा तो 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की गणित बिगड़ जायेगी।

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