24 घण्टे के भीतर यूपी में दूसरे वकील की आत्महत्या से अधिवक्ता आक्रोशित!




मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ


मेरठ में सुसाईड नोट लिख कर वकील द्वारा आत्महत्या किये जाने के 24 घण्टे भी नहीं बीता था कि महोबा में भी एक वकील ने सुसाईड नोट लिख कर आत्महत्या कर लिया।इलाहाबाद हाईकोर्ट की  लखनऊ खंडपीठ के वकील एडवोकेट कपीस श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों मामलों में वकीलों के प्रदर्शन के बाद ही मुकदमा लिखा गया। क्योंकि दोनों प्रकरण में यदि पुलिस की भूमिका स्पष्ट रहती तो दोनों वकीलों की जान बचाई जा सकती है। पहले मेरठ के हस्तिनापुर में वकील की जान गयी तो अधिवक्ताओं ने रास्ता जाम कर मुकदमा लिखवाया। उसके बाद महोबा में वकील की आत्महत्या से आग बबूला हुुये अधिवक्ताओं ने राजमार्ग जाम कर सीओ सिटी के खिलाफ कार्रवाई के बाद अंतिम संस्कार करने का ऐलान करते हुए विरोध प्रदर्शन किया है।


रविवार को अधिवक्ता मुकेश पाठक के शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद अंतिम संस्कार की तैयारी की गई। मगर मोक्षधाम के सामने अधिवक्ताओं ने कानपुर सागर राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करते हुए विरोध प्रदर्शन किया है। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष भारत विशाल शुक्ला के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने कहा कि अधिवक्ता दूसरों को न्याय दिलाने का काम करता है। इसके बाद भी साथी को न्याय के लिए भटकना पड़ा और पुलिस अधिकारियों के द्वारा मामलें में लापरवाही बरती गई है। अधिवक्ताओं ने परिजनों के साथ घटना की निंदा करते हुए सीओ सिटी के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई है। अधिवक्ताओं ने सीओ को बर्खास्त करने की मांग उठाई है। पुुुलिस 


अधीक्षक ने वकीलों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सीओ सिटी कालू सिंह को पद से हटाते हुए जांच बैठा दिया। इस कार्रवाई के बाद नाराज अधिवक्ताओं ने जाम खोला और साथी को अंतिम विदाई दी। अंतिम संस्कार के बाद पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली है। अधिवक्ताओं में कृष्ण गोपाल द्विवेदी, कुलदीप कुशवाहा, नीरज रावत, राजाबाबू आदि मौजूद रहे है।



बार संघ के अध्यक्ष भारत विशाल शुक्ला ने घटना को लेकर पुलिस अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि है कि पुलिस मामलें में गंभीर होती तो घटना न होती। कहा कि अधिवक्ता मुकेश पाठक और उसके पुत्र शिवम् पाठक को लंबे समय से परेशान किया जा रहा था। कई बार शिकायती पत्र देने के बाद भी पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया जिससे परेशान अधिवक्ता ने न्यायालय की शरण ली और न्यायालय के आदेश के बाद कोतवाली पुलिस ने केस दर्ज किया। केस दर्ज होने के बाद बौखलाए आरोपितों के द्वारा जान से मारने की धमकी दी जा रही थी जिससे परेशान अधिवक्ता साथी ने गोली मारकर आत्म हत्या कर ली है। मामलें में दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाईकी मांग उठाई गई है।

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