बस्ती, 08 जनवरी
देशभर में हो रही बलात्कार व महिला उत्पीड़न मामलों के विरोध में चलाई जा रही मुहिम इण्डिया अगेन्स्ट रेप के वालेण्टियर्स ने संयोजक अशोक श्रीवास्तव के नेतृत्व में महामहिम राष्ट्रपति को सम्बोधित 4 सूत्रीय ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा। संयोजक अशोक श्रीवास्तव ने कहा बदायूं और हाथरस जैसी
घटनायें सभ्य समाज के माथे पर कलंक हैं। किसी एक घटना में ठोस कार्यवाही से बदलाव नही आयेगा बल्कि इसके लिये व्यवस्था बदलनी होगी।
उन्होने कहा लम्बे अवधि तक अदालतों में चलने वाली न्यायिक प्रक्रिया ऐसे घटनाओं को प्रोत्साहित करती है। बदलाव के लिये समयबद्ध न्यायिक प्रक्रिया शुरू करनी होगी। सामाजिक कार्यकत्री डा. सिम्मी भाटिया ने कहा दुष्कर्म के मामलों में पुलिस अक्सर लचर रवैया अपनाती है। पहले मामले दर्ज नही होते, दर्ज होते हैं तो अल्पीकरण कर दिया जाता है या फिर सुलह समझौते का दबाव बनाया जाता है। पुलिस की कार्यशैली सुधर जाये और मामलों के समयबद्ध निस्तारण की प्रक्रिया शुरू हो जाये तो अलात्कार व महिला उत्पीड़न मामलों में निश्चित रूप से कमी आयेगी।
महामहिम को भेजे ज्ञापन में 30 दिनों में पुलिस इनवेस्टिगंशन और अगले 60 दिनों में फास्ट ट्रैक अदालतों में सुनवाई पूरी करने, प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के बाद से अपराधियों को दंड मिलने तक पीड़ित और उसके परिवार के सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस क्षेत्राधिकारी को देने, बलात्कार मामलों को वर्गीकृत न किये जाने तथा आरोप फर्जी, मनगढ़न्त पाये जाने पर शिकायतकर्ता को कठोर दंड दिये जाने की मांग की गयी है। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रूप से आनंद राजपाल, संध्या दीक्षित, ज्योति पाण्डेय, गीता पाण्डेय, सुनील कुमार भट्ट, राहिल खान आदि मौजूद रहे।
घटनायें सभ्य समाज के माथे पर कलंक हैं। किसी एक घटना में ठोस कार्यवाही से बदलाव नही आयेगा बल्कि इसके लिये व्यवस्था बदलनी होगी।
उन्होने कहा लम्बे अवधि तक अदालतों में चलने वाली न्यायिक प्रक्रिया ऐसे घटनाओं को प्रोत्साहित करती है। बदलाव के लिये समयबद्ध न्यायिक प्रक्रिया शुरू करनी होगी। सामाजिक कार्यकत्री डा. सिम्मी भाटिया ने कहा दुष्कर्म के मामलों में पुलिस अक्सर लचर रवैया अपनाती है। पहले मामले दर्ज नही होते, दर्ज होते हैं तो अल्पीकरण कर दिया जाता है या फिर सुलह समझौते का दबाव बनाया जाता है। पुलिस की कार्यशैली सुधर जाये और मामलों के समयबद्ध निस्तारण की प्रक्रिया शुरू हो जाये तो अलात्कार व महिला उत्पीड़न मामलों में निश्चित रूप से कमी आयेगी।
महामहिम को भेजे ज्ञापन में 30 दिनों में पुलिस इनवेस्टिगंशन और अगले 60 दिनों में फास्ट ट्रैक अदालतों में सुनवाई पूरी करने, प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के बाद से अपराधियों को दंड मिलने तक पीड़ित और उसके परिवार के सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस क्षेत्राधिकारी को देने, बलात्कार मामलों को वर्गीकृत न किये जाने तथा आरोप फर्जी, मनगढ़न्त पाये जाने पर शिकायतकर्ता को कठोर दंड दिये जाने की मांग की गयी है। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रूप से आनंद राजपाल, संध्या दीक्षित, ज्योति पाण्डेय, गीता पाण्डेय, सुनील कुमार भट्ट, राहिल खान आदि मौजूद रहे।