बस्ती, 15 जनवरी 2021
सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान का तीसरा चरण शुरू हो चुका है। 25 जनवरी तक चलने वाले इस अभियान के दौरान क्षय रोग विभाग की टीम निजी अस्पताल, क्लीनिक व दवा की दुकानों पर पहुंचकर अभियान के संबंध में जानकारी देंगी। उन लोगों को बताया जाएगा कि टीबी का मरीज मिलने पर उसकी जानकारी क्षय रोग विभाग को अनिवार्य रूप से देनी होगी। विभाग मरीज को खोजकर उसका निःशुल्क इलाज कराएगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. सीएल कन्नौजिया ने बताया कि दो चरण सफलतापूर्वक संचालित होने के बाद तीसरा चरण शुरू किया गया है। पूरे जिले में 18 टीम बनाई गई हैं, जिसमें छह टीम शहरी क्षेत्र में सक्रिय हैं। टीम के लोग निजी अस्पताल व क्लीनिक पर जाकर चिकित्सक व स्टॉफ का संवेदीकरण कर रहे हैं। उन्हें बताया जा रहा है कि अगर उनके यहां आने वाले किसी मरीज में टीबी के लक्षण मिलते हैं तो उसकी सूचना जिला क्षय रोग कार्यालय को दें। निःशुल्क जांच के बाद बीमारी की पुष्टि होने पर मरीज का निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण कराकर इलाज कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि टीम, दवा की दुकानों पर जाकर देखेगी कि जिस दुकान से शिड्यूल एच-वन की दवाओं की बिक्री हो रही है, उनसे कहा जाएगा कि मरीज व उसका इलाज करने वाले चिकित्सक की सूचना क्षय रोग विभाग को अनिवार्य रूप से दें। डॉ. कन्नौजिया का कहना है कि काफी मरीज सरकारी अस्पताल में जांच व इलाज के लिए नहीं पहुंच रहे हैं, जिससे टीबी मरीजों का सही आंकड़ा विभाग को नहीं मिल पा रहा है। विभाग के पास जिन मरीजों का आंकड़ा होता है, उनके इलाज के साथ ही स्टॉफ द्वारा नियमित रूप से मरीज के स्वस्थ होने तक फॉलोअप भी किया जाता है। मरीजों को खोजकर उनका इलाज करके ही 2025 तक टीबी के खात्मे का केंद्र सरकार का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
मरीज की सूचना पर मिलेगी 500 रुपए की प्रोत्साहन राशि
डीटीओ ने बताया कि क्लीनिक व निजी अस्पताल पर आने वाले किसी टीबी मरीज की सूचना उनके कार्यालय पर को देने पर विभाग द्वारा चिकित्सक को प्रति मरीज 500 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। सभी निजी चिकित्सक अपने यहां आने वाले किसी मरीज में टीबी के लक्षण देंखें तो इसकी सूचना देकर टीबी के खात्में में सहयोग प्रदान करें।.
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. सीएल कन्नौजिया ने बताया कि दो चरण सफलतापूर्वक संचालित होने के बाद तीसरा चरण शुरू किया गया है। पूरे जिले में 18 टीम बनाई गई हैं, जिसमें छह टीम शहरी क्षेत्र में सक्रिय हैं। टीम के लोग निजी अस्पताल व क्लीनिक पर जाकर चिकित्सक व स्टॉफ का संवेदीकरण कर रहे हैं। उन्हें बताया जा रहा है कि अगर उनके यहां आने वाले किसी मरीज में टीबी के लक्षण मिलते हैं तो उसकी सूचना जिला क्षय रोग कार्यालय को दें। निःशुल्क जांच के बाद बीमारी की पुष्टि होने पर मरीज का निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण कराकर इलाज कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि टीम, दवा की दुकानों पर जाकर देखेगी कि जिस दुकान से शिड्यूल एच-वन की दवाओं की बिक्री हो रही है, उनसे कहा जाएगा कि मरीज व उसका इलाज करने वाले चिकित्सक की सूचना क्षय रोग विभाग को अनिवार्य रूप से दें। डॉ. कन्नौजिया का कहना है कि काफी मरीज सरकारी अस्पताल में जांच व इलाज के लिए नहीं पहुंच रहे हैं, जिससे टीबी मरीजों का सही आंकड़ा विभाग को नहीं मिल पा रहा है। विभाग के पास जिन मरीजों का आंकड़ा होता है, उनके इलाज के साथ ही स्टॉफ द्वारा नियमित रूप से मरीज के स्वस्थ होने तक फॉलोअप भी किया जाता है। मरीजों को खोजकर उनका इलाज करके ही 2025 तक टीबी के खात्मे का केंद्र सरकार का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
मरीज की सूचना पर मिलेगी 500 रुपए की प्रोत्साहन राशि
डीटीओ ने बताया कि क्लीनिक व निजी अस्पताल पर आने वाले किसी टीबी मरीज की सूचना उनके कार्यालय पर को देने पर विभाग द्वारा चिकित्सक को प्रति मरीज 500 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। सभी निजी चिकित्सक अपने यहां आने वाले किसी मरीज में टीबी के लक्षण देंखें तो इसकी सूचना देकर टीबी के खात्में में सहयोग प्रदान करें।.